म्हारी छोरियां छोरों से कम नहीं

गिरीश सैनी report - यूपीएससी में 266वीं रैंक हासिल की अनुराधा ने कर्म करो, फल की इच्छा मत करो है सफलता का मंत्र

म्हारी छोरियां छोरों से कम नहीं
म्हारी छोरियां छोरों से कम नहीं

रोहतक। नाकामी हमें सफलता की कदर करना सिखाती है। और ज्यादा बेहतर के लिए प्रयास करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए। यह कहना है यूपीएससी में कामयाबी पाने वाली रोहतक की बेटी अनुराधा का। अनुराधा ने यूपीएससी के हालिया घोषित नतीजों में 266वीं रैंक प्राप्त की है। एक विशेष बातचीत में अनुराधा ने बताया कि रोहतक के शिक्षा भारती विद्यालय से स्कूली शिक्षा के उपरांत दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से सांख्यिकी ऑनर्स की पढ़ाई करने के बाद आईएएस की तैयारी में जुट गई। बचपन से ही एक आईएएस को मिलने वाली शक्तियों से प्रभावित अनुराधा ने राजनीति विज्ञान व अंतरराष्ट्रीय संबंध को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में चुना। क्योंकि रुचिकर होने के साथ ही एक अधिकारी के लिए यह विषय भविष्य की गतिविधियों में प्रासंगिक व सहायक भी है। अनुराधा राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर भी कर चुकी है। सपनों की उड़ान अभी बाकी - अनुराधा बताती हैं कि यूपीएससी के लिए यह उनका तीसरा प्रयास था। इससे पहले पिछले वर्ष आरक्षित सूची में उन्हें स्थान मिला था। डेनिक्स में नियुक्ति मिलने के बाद अब दिल्ली यूटी में बतौर एसडीएम उनका प्रशिक्षण आरंभ होगा। लेकिन संतुष्ट न होने के कारण वह साथ साथ दोबारा प्रयास करती रही। अब तीसरे प्रयास में 266वीं रैंक हासिल की है। परंतु यह उनके सपनों की मंजिल नहीं है। अब भी आईएएस के लक्ष्य के साथ रैंक सुधारने के लिए चौथी बार भी प्रयासरत रहेंगी। इससे पहले उत्तर प्रदेश सिविल सेवाओं के लिए भी उनका चयन हो चुका है। लेकिन वहां कार्यभार संभालने के बजाय अनुराधा ने आईएएस की लक्ष्य प्राप्ति में ही उर्जा लगाए रखी। परिवार ने हर कदम पर दिया साथ- अनुराधा को मिली इस सफलता पर परिवार, मित्रों के अलावा मिलने जुलने वालों ने खुशी जताई है। अनुराधा के पिता प्रदीप कुमार सुनेजा एक व्यवसायी हैं। वहीं मां सुमन एक गृहणी की भूमिका में घर संभालती हैं। परिजन कहते हैं कि परिवार में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है। बेटी की कामयाबी ने सिर ऊंचा कर दिया। अगर बच्चा पढ़ना चाहे तो हर मां बाप जरूर पढ़ाएं। सामान्य पृष्ठभूमि के संयुक्त परिवार में पली बढ़ी अनुराधा अपनी कामयाबी का श्रेय अभिभावकों, परिजनों, शिक्षकों के साथ कड़ी मेहनत को देती हैं। कर्म करो, फल की इच्छा मत करो - गीता को उर्द्धत करते हुए अनुराधा कहती है कि कर्म करो, फल की इच्छा मत करो। अपना बेहतरीन करते हुए नकारात्मकता से दूर रहें। सफलता असफलता एक सिक्के के दो पहलू हैं। पूरे साल की मेहनत के बाद असफलता हमें वापस शून्य पर खड़ा कर देती है। सफल होने पर दुनिया पीछे घूमती है। लेकिन असफल इंसान से बात करना ज्यादा जरूरी है। पिछले साल मेन्स लिस्ट में नाम न आने पर निराशा हुई थी। इस कामयाबी ने और अधिक विनम्र होना सिखाया है। ब्रेक भी जरूरी - निरंतर पढ़ाई के बीच ब्रेक अनुराधा के हिसाब से जरूरी है। इससे हमारी क्षमता में इजाफा होने के साथ और ज्यादा उर्जा मिलती है। दोस्तों के साथ बाहर घूमना अनुराधा का पसंदीदा ब्रेक है। इंटरनेट खासतौर से यूट्यूब के शिक्षाप्रद वीडियो तैयारी में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही नियमित समाचार पत्र पढ़ने से भी अनुराधा को अपडेट रहने में खासी मदद मिली। कोचिंग सेंटर दिशा निर्धारण में सहायक हैं। लेकिन स्वयं अध्ययन सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोशल मीडिया स्व-नियंत्रण की चीज है। इसका सीमित इस्तेमाल खुद को अपडेट रखने में सहायक है। यूपीएससी की आकांक्षा रखने वालों के लिए संदेश - यूपीएससी की आकांक्षा रखने वाले युवाओं के लिए अनुराधा की सलाह है कि किसी भी कार्य के लिए निष्ठा व समर्पण आवश्यक है। जब तक किसी कार्य को मन लगाकर नहीं करेंगे, तब तक अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकती। बचपन से महत्वाकांक्षी- अनुराधा के स्कूली शिक्षक हरीश कमल बताते हैं कि स्कूल के दिनों से ही उसमें कुछ अलग करने की चाह नजर आती थी। बाद में भी वह जी जान से यूपीएससी की तैयारी में जुटी रही और अपना लक्ष्य पाकर ही दम लिया।