वाणी की देवी माँ सरस्वती की पूजा के साथ बसंत ऋतु का स्वागत
न्यूज़ डेस्क रिपोर्ट
Basant Panchami 2022 : आज से ऋतुराज वसंत का आगमन होगा। वसंत पंचमी से प्रकृति अपने संपूर्ण श्रृंगार में नजर आएगी। पेड़ों से पतझड़ के बाद नई कोपलें निकलेंगी।
वसंत पंचमी पर ज्ञान, बुद्धि और वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा होगी। इस दिन होली के लिए वसंत पंचमी पर गली या चौराहों पर डंडे की स्थापना विधिविधान से की जाती है। इसी दिन से होली के होली के आगमन का एहसास होता है। वसंत पंचमी तीन विशेष योगों की त्रिवेणी में मनाई जाएगी। वसंत पंचमी के दिन सिद्ध, साध्य और रवियोग का संगम होगा।
इस दिन पीले कपड़े पहनकर सरस्वती पूजन होगा। शनिवार को तड़के 3:48 बजे वसंत पंचमी शुरू होगी और छह फरवरी रविवार को तड़के 3:46 बजे तक वंसत पंचमी रहेगी। वसंत पंचमी को मास शुक्ल की तिथि को मनाते हैं। सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त पांच फरवरी को 7:19 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि हिंदू परंपरा में विशेष महत्व रखती है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। मांगलिक कार्य होते हैं। इस दिन स्कूलों में भी विद्या की देवी की पूजा होती है। लेकिन, इस बार स्कूल बंद होने के कारण आनलाइन पूजा होगी।
वसंत पंचमी को कहते हैं रतिकामोत्सवः रति के पति कामदेव का नाम वसंत है। इसलिए इस दिन को रतिकामोत्सव दिन भी कहते हैं। वसंत पंचमी से गुलाबी वातावरण शुरू हो जाता है। मान्यता है कि जब भगवान शिव के द्वारा कामदेव को भस्म कर दिया था। तब रति ने भगवान शिव से प्रार्थना की थी कि देवताओं को बचाने के लिए तारकासुर वध के लिए मेरे पति ने आपकी समाधि खुलवाई। तब भगवान शिव ने जन जन में अप्रत्यक्ष रूप से सभी प्राणियों में काम को सृष्टि के सृजन हेतु स्थापित किया। इस दिन रतिकामोत्सव दिन भी कहते हैं।
वसंत पंचमी पर पीले कपड़े पहनना शुभः ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि वसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है। वसंत पंचमी यानि सरस्वती पूजा के दिन पेड़-पौधे नहीं काटने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन से वसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। इस दिन सुबह उठकर हथेलियों के दर्शन करना चाहिए। क्योंकि हथेली के मध्य भाग में विद्या की देवी मां का वास होता है। वसंत पंचमी के दिन कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं रहती। इस दिन बड़ी संख्या में विवाह होंगे। इसके अलावा मुंडन, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, वाहन खरीद जैसे शुभ कार्य भी किए जाते हैं। बच्चों के विद्यारंभ संस्कार के लिए यह सर्वथा उपयुक्त दिन होता है। इस दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। संगीत की शिक्षा ले रहे विद्यार्थी भी इस दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा करते हैं।