नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नशे के सौदागरों के खिलाफ छेड़ी मुहिम,दो साल तक नहीं मिलेगी ज़मानत

जया एस

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नशे के  सौदागरों के खिलाफ छेड़ी मुहिम,दो साल तक नहीं मिलेगी ज़मानत
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नशे के  सौदागरों के खिलाफ छेड़ी मुहिम,दो साल तक नहीं मिलेगी ज़मानत

नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने नशे के सौदागरों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। एजेंसी ने पीआइटीएनडीपीएस एक्ट के तहत लगभग तीन महीने में अब तक सबसे अधिक 18 आदेश जारी किए हैं।प्रिवेंशन आफ इलिसिट ट्रैफिक इन नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (पीआइटीएनडीपीएस) एक्ट, 1988 कभी-कभार लागू किया जाने वाला सख्त कानून है, इसके तहत ड्रग्स-अपराध के आदतन अपराधियों को एहतियातन दो साल तक हिरासत में रखने का प्रविधान है। हिरासत अवधि के दौरान आरोपित को जमानत या ऐसी कोई राहत प्रदान नहीं की जा सकती जिससे वह रिहा हो सके।

अधिकारियों ने बताया कि एनसीबी के महानिदेशक एसएन प्रधान द्वारा एजेंसी के कामकाज की समीक्षा के बाद इस कानून का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया। उन्होंने अधिकारियों को सिर्फ नार्कोटिक्स के बड़े मामलों और उनसे जुड़े कार्टेल पर ध्यान केंद्रित करने, फंड ट्रेल की जांच से पुष्ट मजबूत केस तैयार करने और आरोपितों की दोषसिद्धि सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। पीआइटीएनडीपीएस में ड्रग्स एवं नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार में किसी भी तरह से जुड़े व्यक्तियों को एक या दो साल तक हिरासत में रखने का प्रविधान है ताकि उन्हें खतरनाक गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सके। अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन महीने में पीआइटीएनडीपीएस के तहत 18 आदेश जारी किए गए, जबकि दिसंबर, 2019 से नवंबर, 2021 के बीच 24 से ज्यादा आदेश जारी किए गए थे। उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए लोगों में अफ्रीकी नागरिकों जैसे विदेशी शामिल हैं जो भारत में ड्रग्स अपराधों में नियमित रूप से पकड़े जाते हैं।

हिरासत में लेने की है प्रक्रिया

इस कानून की योजना के तहत अभियोजन एजेंसी पहले किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का प्रस्ताव तैयार करती है। फिर इस प्रस्ताव को निर्धारित जांच समिति परखती है और संबंधित अधिकारी को इस प्रस्ताव के लिए अनुशंसा करती है या उसे खारिज कर देती है। यह अधिकारी केंद्र में संयुक्त सचिव या राज्य में मुख्य सचिव स्तर का होता है। वह एक साल के लिए हिरासत में लेने का आदेश जारी कर सकता है जिसे हाई कोर्ट के सलाहकार बोर्ड से मंजूरी मिलने पर खास परिस्थितियों में दो साल तक बढ़ाया जा सकता है।

एहतियातन हिरासत से मिलती है जांचकर्ताओं को मदद

कानून के तहत हिरासत के आधार पर एनसीबी आरोपित की परिसंपत्तियों को जब्त कर सकती है। हिरासत की इस अवधि से जांचकर्ताओं को अपराध गठजोड़ की गहराई तक जाने, और लोगों को गिरफ्तार करने और गिरोह को तितर-बितर करने में मदद मिलती है। अधिकारियों ने कहा कि एनसीबी प्रमुख की समीक्षा के बाद जांच एजेंसी ने अपनी फाइलों व राज्यों द्वारा सौंपे गए ऐसे बड़े मामलों पर ध्यान देना शुरू किया है जिनमें नशीले पदार्थो के आदतन अपराधी शामिल हैं। एनसीबी महानिदेशक ने उक्त समीक्षा ऐसे समय की जब पिछले साल अक्टूबर में मुंबई में कोर्डिलिया क्रूज पर छापा मारने के बाद एनसीबी विवादों में घिर गई थी। इस मामले में गवाहों की निष्पक्षता पर सवाल उठा था और जांचकर्ताओं पर वसूली के आरोप भी लगे थे। इन आरोपों की वर्तमान में आंतरिक एनसीबी विजिलेंस इंक्वायरी जारी है।

हाल में मिली है नए पदों को स्वीकृति

ड्रग्स की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में एनसीबी में कुल 1,826 नए पदों को स्वीकृति प्रदान की है। इस नई श्रम शक्ति का इस्तेमाल नई साइबर आपरेशंस विंग, अतिरिक्त क्षेत्रीय व उप-क्षेत्रीय कार्यालयों के सृजन और उप-महानिदेशक के नए पद सृजित करने के लिए किया जाएगा। सरकार से स्वीकृति के बाद अब नए पदों के लिए भर्ती एवं प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एनसीबी में वर्तमान में स्वीकृत कर्मचारियों की संख्या 1,100 है, जबकि वास्तव में एजेंसी में 700 कर्मचारी कार्यरत हैं। वर्तमान में एजेंसी ने विभिन्न अदालतों के समक्ष अपने मामलों के लिए करीब 50 लोक अभियोजकों की सेवाएं ली हुई हैं। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने पहले कभी एक साथ इतनी बड़ी संख्या में अभियोजकों की सेवाएं नहीं लीं।