यादव बंधुओं ने निभाई 90 साल से चली आ रही जलाभिषेक की परंपरा
सावन के पहले सोमवार को यादव बंधुओं ने 90 साल से चली आ रही बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की परंपरा का पूरे उत्साह के साथ निर्वहन किया।

देश भर से यादव बंधु बाबा के जलाभिषेक के लिए बनारस पहुंचे। कोरोना के चलते दो साल बाद यादव बंधुओं के जलाभिषेक में पुरानी रौनक लौटी। यदुवंशियों का भक्ति भाव देख कर रास्ते में मौजूद लोग भी श्रद्धापूर्वक हाथ उठा कर हर-हर महादेव का उद्घोष करते दिखे। यादव समाज का पीतल ध्वज और डमरू बजाते युवकों के दल को देख रास्ते भर हर हर महादेव का उद्घोष होता रहा। इस दौरान कई मौकों पर विहंगम नजारा दिखा। इधर, काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में जाने से रोकने पर यादव समाज के लोगों ने धरना दे दिया। करीब एक घंटे बाद जिला प्रशासन को पांच यदुवंशियों को गर्भगृह में प्रवेश करने दिया। बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के लिए धाम के रास्ते से ही यादव समाज के लोग ललिता घाट पहुंचे और वहां से जल लेकर वापस काशी विश्वनाथ धाम के रास्ते से बाहर निकले।जलाभिषेक होते ही बारिश शुरू हुई और लगातार तीन दिनों तक होती रही। तभी से हर साल यदुवंशी समाज सावन के पहले सोमवार को बाबा का जलाभिषेक करता है। यादव बंधु मानमंदिर घाट से जल लेकर डेढ़सीपुल, साक्षीविनायक, ढुंढिराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के बाद विश्वनाथ धाम से ललिता घाट पहुंचे। चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के बैनर तले जुटे हजारों यादव बंधुओं ने श्री गौरी केदारेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर यात्रा शुरू की।यदुवंशी समाज की वार्षिक कलश यात्रा केदार घाट के गौरी केदारेश्वर मंदिर, तिलभांडेश्वर महादेव, दशाश्वमेध स्थित शीतला मंदिर, आह्लादेश्वर महादेव, काशी विश्वनाथ, महामृत्युंजय, त्रिलोचन महादेव, ओमकारेश्वर महादेव के बाद लाट भैरव पर पहुंचकर पूर्ण होती है।श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के प्रथम सोमवार को यादव बंधुओं द्वारा जलाभिषेक की परंपरा है।सन 1932 में पड़े अकाल के समय बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की परंपरा शुरू हुई थी। तब से अब तक इस परंपरा का निर्वहन निरंतर जारी है। चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष लालजी यादव ने बताया कि कांवड़ियों की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने यदुवंशी समाज से सिंधिया घाट पर जल लेने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन समिति के पदाधिकारी अपनी परंपरा से समझौता करने के लिए तैयार नहीं थे।