माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी का उपयोग संपोषणीय जीवन के लिए करने के आह्वान के साथ एएमआई का 63वां वार्षिक सम्मेलन शुरू।

Girish Saini Reports

माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी का उपयोग संपोषणीय जीवन के लिए करने के आह्वान के साथ एएमआई का 63वां वार्षिक सम्मेलन शुरू।

रोहतक। माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी का उपयोग संपोषणीय जीवन के लिए करने के आह्वान के साथ वीरवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलोजिस्ट्स ऑफ इंडिया (एएमआई) का 63वां वार्षिक सम्मेलन शुरू हुआ। प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक पद्म भूषण प्रो. एन.के. गांगुली ने बतौर मुख्यातिथि अपने संबोधन में फेफड़े के कैंसर में माइक्रोबायोम तथा मल्टीओमिक्स की भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रो. गांगुली ने कहा कि विभिन्न चिकित्सीय पहल में माइक्रोब्स की उपयोगी भूमिका है। प्रो. गांगुली ने भारत में ट्रांसलेशनल हेल्थ रिसर्च परिदृश्य पर प्रकाश डाला। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि प्रतिष्ठित चिकित्सक पद्मश्री डॉ. एन.के. अरोड़ा ने कहा कि चिकित्सीय अनुसंधान में माइक्रोबायोलॉजी की विशेष भूमिका है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि प्रयोगशाला संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ किया जाए। डा. अरोड़ा ने कहा कि विभिन्न वैज्ञानिक विषयों के विशेषज्ञों को मिलकर कार्य करना होगा। ताकि विभिन्न स्वास्थ्य संबंधित चुनौतियों का सामना किया जा सके। एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि मानव कल्याणकारी शोध समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि युवा शोधार्थियों को माइक्रोब्स के उपयोगी पहलुओं पर शोध करना चाहिए ताकि इसका इस्तेमाल चिकित्सीय पहल के तहत किया जाए। कुलपति ने प्रयोगशालाओं के शोध को समाज-राष्ट्र में जमीन तक ले जाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि आगामी सत्र से एमडीयू पब्लिक हेल्थ विषय पर पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में सम्मेलन संबंधित पुस्तिका का लोकार्पण किया गया। सम्मेलन अध्यक्ष प्रो. आर.सी. कुहाड़ (पूर्व कुलपति, हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय) ने स्वागत भाषण में कहा कि विद्यार्थियों को वैज्ञानिक सोच विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान वैज्ञानिकों तथा चिकित्सकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। आज जरूरत है कि माइक्रोबायोलॉजी में उच्च अध्ययन तथा शोध का उपयोग मानव कल्याण के लिए किया जाए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक क्षेत्र में वैदिक ज्ञान का भी उपयोग किया जाना चाहिए। डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि भारत की प्राचीन सभ्यता में वैज्ञानिक ज्ञान का समावेश है। एएमआई की अध्यक्ष प्रो. प्रवीण ऋषि तथा महासचिव प्रो. नमिता सिंह ने उद्घाटन सत्र में संबोधन किया। एमडीयू माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष तथा सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. कृष्णकांत शर्मा ने माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी फॉर सस्टेनेबल बायोस्फेयर विषयक इस सम्मेलन के थीम पर प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन डीन, फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज प्रो. राजेश धनखड़ ने किया। मंच संचालन प्राध्यापिका डॉ. महक डांगी ने किया। उद्घाटन सत्र में विशेष रूप से शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार विजेता प्रो. जावेद एन. अग्रेवाला (आईआईटी, रोपड़) तथा डा. धीरज कुमार (आईसीजीईबी, नई दिल्ली) को सम्मानित किया गया। प्रो. जावेद एन. अग्रेवाला तथा डा. धीरज कुमार ने तकनीकी सत्र में विशेष व्याख्यान दिया। पैनेशिया बायोटेक के एसोसिएट डायरेक्टर डा. अमूल्य के पांडा ने वैक्सीनेशन संबंधित व्याख्यान दिया। टैगोर सभागार में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में संकाय डीन, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी मौजूद रहे। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में लगभग 1000 डेलीगेट्स भाग ले रहे हैं।