विदेश से पढ़कर लौटे है ये 5 उम्मीदवार

न्यूज़ डेस्क रिपोर्ट

विदेश से पढ़कर लौटे है ये 5 उम्मीदवार
विदेश से पढ़कर लौटे है ये 5 उम्मीदवार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों (Uttar Pradesh Elections 2022) के मतदान में अब कुछ ही दिन बचे हैं. प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), समाजवादी पार्टी (एसपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर रहे हैं।

जैसे-जैसे नामों का ऐलान हो रहा है वैसे-वैसे प्रचार अभियान भी तेज हो गया है. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं उन प्रत्याशियोंके बारे में जिन्होंने विदेश से अपनी पढ़ाई पूरी की है और इस बार अपनी किस्मत आजमाने के लिए रण में उतरे हैं.

1. बदायूं के सहसवान से कुणाल यादव

बदायूं के सहसवान सीट से कुणाल यादव विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. कुणाल यादव पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाहुबली और चर्चित नेता डीपी यादव के बेटे हैं. कुणाल ने लंदन यूनिवर्सिटी से बीबीए की डिग्री हासिल की है. डिग्री हासिल करने के बाद जब वह भारत आए तो अपने पिता डीपी यादव के उद्योग-धंधों को संभालना शुरू किया. इस बार 2022 के चुनाव में वह अपने पिता द्वारा बनाई गई पार्टी राष्ट्रीय परिवर्तन दल के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं और अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इससे पहले डीपी यादव सहसवान सीट से ही विधायक रह चुके हैं लेकिन इस बार अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए कुणाल यादव मैदान में हैं.

कुणाल यादव ने आज तक से बातचीत के दौरान बताया कि वो अपने पिता डीपी यादव के निर्देश पर चुनाव लड़ रहे हैं. कुणाल ने बताया, 'हम शिक्षित सहसवान बनाना चाहेंगे. सरकार सहयोग करने वाली आई तो सरकारी सहयोग से, नहीं तो खुद के पैसों से प्राइवेट स्कूल ,कॉलेज और कृषि विश्वविद्यालय, ITI कॉलेज खोलेंगे.' उन्होंने आगे बताया कि लड़कियों के लिए भी स्कूल खोलने की योजना है और सहसवान को हम शिक्षा का केंद्र बनाएंगे.

2. रायबरेली से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं मनीष सिंह

रायबरेली सदर सीट से कांग्रेस ने डॉ. मनीष सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. डॉ. मनीष सिंह ने स्कॉटलैंड से मास्टर ऑफ मेडिसिन की पढ़ाई की है. उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में न सिर्फ विदेशों में अपनी सेवाएं दी, बल्कि भारत में भी आकर देश के नामी-गिरामी अस्पतालों में काम किया है. इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव में वह राजनीति में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. उनका दावा है कि कांग्रेस के गढ़ में वह एक बार फिर कांग्रेस का परचम लहराएंगे.

साल 2004 में मनीष सिंह ने रायबरेली में सिमहैन्स हॉस्पिटल की नींव रखी थी. जिसका उद्घाटन सोनिया गांधी ने किया था. मनीष सिंह के दादा सेना में मेजर के पद पर थे तो सामाजिक दायरा भी बड़ा था. घर में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का आना-जाना था. मनीष के चाचा आरपी सिंह जिला परिषद अध्यक्ष रायबरेली के पद पर रह चुके हैं.

3. फतेहाबाद विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी रूपाली दीक्षित

आगरा की फतेहाबाद विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं रूपाली दीक्षित इन दिनों चर्चा में हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई लंदन से की है. रूपाली सजायाफ्ता बाहुबली माफिया अशोक दीक्षित की बेटी हैं. रूपाली लंदन में नौकरी भी कर रही थीं, लेकिन इसी बीच उनके पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और वह लंदन से आगरा अपने घर वापस आ गईं. पिता की विरासत को सहेजने के लिए रूपाली ने राजनीति में सक्रियता दिखानी शुरू की और फतेहाबाद में लोगों से मिलना-जुलना शुरू किया।

रूपाली पहले बीजेपी में थीं और वह फतेहाबाद विधानसभा सीट से टिकट मांग रही थीं. लेकिन इसी बीच बीजेपी के प्रत्याशी छोटे लाल वर्मा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. जिसमें छोटे लाल वर्मा ने रूपाली के पिता अशोक दीक्षित को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की थी. इसके बाद रूपाली ने ठान लिया कि उन्हें चुनाव लड़ना है और छोटे लाल वर्मा को हराना है. लेकिन रूपाली को बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो वह निराश हो गई थीं. वहीं एसपी ने भी राजेश कुमार शर्मा को अपना प्रत्याशी बना दिया था. लेकिन रूपाली ने हिम्मत नहीं हारी और सीधे एसपी चीफ अखिलेश यादव से मुलाकात करने लखनऊ पहुंच गईं।

मुलाकात में रूपाली ने अखिलेश को आश्वस्त किया. उसके बाद राजेश शर्मा का टिकट कट गया और एसपी का टिकट लेकर रूपाली फतेहाबाद के चुनावी मैदान में उतर गईं।

4. अंबेडकरनगर से बसपा की टिकट पर किस्मत आजमां रहे हैं प्रतीक पांडेय

प्रतीक पांडेय अंबेडकरनगर के कटेहरी विधानसभा से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिग्री हासिल की है. प्रतीक पूर्व विधायक पवन पांडेय के बेटे हैं. वह पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं. प्रतीक इंटर तक लखनऊ में पढ़ाई करने के बाद पुणे चले गए. जहां से वह बीबीए और एलएलबी की पढ़ाई किए और आगे की शिक्षा हासिल करने के लिए ऑस्ट्रेलिया गए।

प्रतीक के पिता साल 1991 में शिवसेना से अकबरपुर के विधायक बने थे. वहीं उनके बड़े पिता राकेश पांडेय एसपी से विधायक और बीएसपी से सांसद रह चुके हैं. प्रतीक के चचरे भाई रितेश पांडेय अंबेडकरनगर से बीएसपी के सांसद हैं।

5. मेरठ कैंट से चुनावी मैदान में हैं मनीषा अहलावत

मेरठ कैंट विधानसभा से आरएलडी-समाजवादी पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में मनीषा अहलावत पहली बार अपनी किस्मत आजमा रही हैं. मनीषा अहलावत ने बायोलॉजी में मेरठ स्थित सीसीएस यूनिवर्सिटी से बीएससी से किया है. इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वह यूएसए चली गईं. जहां से उन्होंने एमबीए किया. अटलांटा के जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल करने के बाद मनीषा भारत वापस आईं। मनीषा अहलावत मेरठ के सरधना के पूर्व विधायक चंद्रवीर सिंह की बेटी हैं. मनीषा अहलावत का कहना है कि वह अपने पिता की विरासत तो संभाल ही रही हैं. साथ ही साथ उनका इरादा महिला अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने का भी है।