जगदीप धनखड़ होंगे भाजपा के उपराष्ट्रपति पद उम्मीदवार, इस बहाने राजस्थान चुनावों और किसानों को साधने की कवायद में भाजपा?

गिरीश सैनी Report

जगदीप धनखड़ होंगे भाजपा के उपराष्ट्रपति पद उम्मीदवार, इस बहाने राजस्थान चुनावों और किसानों को साधने की कवायद में भाजपा?

भारतीय जनता पार्टी द्वारा उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के नाम की घोषणा किए जाने के साथ ही सियासी हलकों में खलबली मच गई है। ध्यान रहे कि एनडीए की ओर से बतौर उपराष्ट्रपति पद उम्मीदवार, धनखड़ की दावेदारी की अब तक चर्चा नहीं थी। ऐसे में एनडीए द्वारा धनखड़ पर दांव लगाने से हर कोई हैरान है। लगभग दो दशक से भाजपा से जुड़े धनखड़ के नाम की घोषणा को प. बंगाल के राज्यपाल के रूप में ममता बनर्जी से भिड़ने के इनाम के रूप में भी देखा जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा अपने बयान में उन्हें किसान का बेटा बताना कहीं किसानों को साधने का प्रयास तो नहीं। या फिर राजस्थान से सम्बन्ध रखने वाले धनखड़ के बहाने प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में पैठ जमाने की तैयारी है? सियासी दांव-पेच के माहिर खिलाड़ी पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके जगदीप धनखड़ की राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में अहम भूमिका रही है। राजस्थान के जाटों में काफी अच्छी पकड़ रखने वाले धनखड़ के नाम पर भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में मोहर लग चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनखड़ के समर्थन में किए अपने ट्वीट में कहा कि उन्हें संविधान की बेहतरीन जानकारी है और वह विधायी मामलों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा करते वक्त भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जगदीप धनखड़ को किसान का बेटा कहकर संबोधित किया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस बहाने भाजपा किसानों को साधने की कोशिश में है। किसान आंदोलन के बाद भाजपा के प्रति किसानों का सख्त रुख चिंता का विषय रहा है। हालांकि, किसान क़ानून वापस लेने के बाद, कुछ समय पूर्व हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणामों पर इसका ज्यादा सा असर देखने को नहीं मिला। लेकिन विपक्ष इस बहाने सरकार को लपेटने के प्रयास में लगा रहता है। किसान का बेटा कहकर धनखड़ के नाम की घोषणा किसानों के मन में अपने प्रति नाराजगी कम करने का एक प्रयास हो सकती है। वहीं राजनीतिक पंडित मानते हैं कि धनखड़ के बहाने भाजपा राजस्थान की सत्ता हासिल करने की कोशिश कर सकती है। क्यूंकी वसुंधरा राजे गुट की नाराजगी जाग जाहिर है ही। साथ ही अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे एनडीए के सहयोगी हनुमान बेनीवाल भीभाजपा से नाराज दिख रहे थे। इसके चलते 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा का दांव किसी नए चेहरे पर लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। मूल रूप से राजस्थान के झुंझनु जिले से ताल्लुक रखने वाले धनखड़ इस मामले में भाजपा के मददगार साबित होसकते हैं। हालांकि प्रदेश में कांग्रेस की अंदरूनी कलह के चलते इस बार भाजपा की राह पहले के मुकाबले ज्यादा कठिन नहीं दिख रही।