Asteroids News: अंतरिक्ष से धरती की तरफ आ रही बड़ी आफत, नासा ने जारी किया है अलर्ट
एस्टेरॉयड को धरती के लिए काफी लंबे समय से खतरा बताया जा रहा है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर एस्टेरॉयड धरती से टकराता है, तो दुनिया में बड़ी तबाही मच सकती है। कहा जाता है कि धरती की परिक्रमा करने वाला बड़ा एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रह की एक बार पृथ्वी से टक्कर हुई थी जिसके बाद डायनासोर धरती से खत्म हो गए थे। इसके बाद कई बार धरती से पास से गुजरने वाले एस्टेरॉयड के टकराने की संभावना जताई गई, लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने एक बार फिर एस्टेरॉयड से धरती को खतरे की आशंका जताई है। नासा की भविष्यवाणी के मुताबिक, 6 जून 2022 यानी सोमवार को अंतरिक्ष से धरती की तरफ एक बड़ा एस्टेरॉयड आ रहा है। नासा ने बताया है कि अंतरिक्ष से आने वाले यह पत्थर का आकार समुद्री ब्लू व्हेल से तीन गुना बड़ा है। यह धरती के पास से 26 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से गुजरेगा। आइए जानते हैं कि क्या इस विशालकाय एस्टेरॉयड से धरती को कोई खतरा है? क्या इसकी दिशा में परिवर्तन हो सकता हैवैज्ञानिकों ने इस एस्टेरॉयड को 2021 GT2 (Asteroid 2021 GT2) नाम दिया है। नासा की भविष्यवाणी के मुताबिक, यह धरती से करीब 35 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा। इसकी दूरी चांद और धरती के बीच की दूरी से करीब दस गुना ज्यादा है। वैज्ञानिकों ने एस्टेरॉयड 2021 GT2 को बीते साल खोजा था जिसकी चौड़ाई 121 से 272 फीट है। यह आकार में काफी बड़ा है। अगर यह धरती से टकराता है तो बड़ी तबाही मच सकती है। इस एस्टेरॉयड को एटेन-क्लास एस्टेरॉयड की श्रेणी में शामिल किया है। इसका मतलब यह है कि यह सूरज की कक्षा में 342 दिन में एक बार चक्कर लगाता है। दूसरी बात यह है कि इस धरती की ऑर्बिट से इस एस्टेरॉयड की कक्षा क्रास करती है।वैज्ञानिकों ने एटेन-क्लास एस्टेरॉयड के 1800 से अधिक एस्टेरॉयड को खोजा है। इनको वैज्ञानिक धरती के लिए संभावित खतरा मानते हैं। अब यह अगली बार धरती के पास से 26 जनवरी 2034 को जाएगा। इस दौरा यह धरती से 1.45 करोड़ किमी की दूरी से गुजरेगा। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कोई एस्टेरॉयड करीब 46 लाख मील के अंदर आता है, तो यह धरती के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स की श्रेणी में एस्टेरॉयड को रखा जाता है। ऐसे एस्टेरॉयड्स पर नासा लगातार नजर रखता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी एक साथ हजारों एस्टेरॉयड्स की स्टडी करता है। ऐसा इसलिए करता है कि भविष्य में आने वाले खतरों के बारे में जानकारी मिल सके और धरती को बचाया जा सके। उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह को एस्टेरॉयड कहते हैं। किसी ग्रह के निर्माण के समय उससे छोटे-छोटे चट्टान के टुकड़े निकलकर बाहर आ जाते हैं और सूर्य की प्रक्रिमा करते लगते हैं। कभी कभी ऐसा होता है कि यह अपनी कक्षा से बाहर चले जाते हैं। आमतौर पर ग्रहों की कक्षा में एस्टेरॉयड जल जाते हैं, लेकिन बड़े एस्टेरॉयड कभी-कभी ग्रहों से टकरा जाते हैं। धरती से भी एस्टेरॉयड की टक्कर हो चुकी है।