जोशीमठः अब तक 561 मकानों में दरारें, प्रभावित लोगों का नया ठिकाना 'रिलीफ़ कैंप'

ajay kumar Reports

जोशीमठः अब तक 561 मकानों में दरारें, प्रभावित लोगों का नया ठिकाना 'रिलीफ़ कैंप'

जोशीमठ में ज़मीन और मकानों में दरार आने से प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और 'रिलीफ़ कैंप' ही फ़िलहाल उनका नया ठिकाना है. प्रशासन के मुताबिक अब तक कुल 561 मकानों में दरारें देखी गई हैं. प्रभावित लोगों के बीच डर की स्थिति बनी हुई है. जोशीमठ हिंदुओं और सिखों के प्रमुख तीर्थस्थानों का गेटवे है. ये हिमालय के ऊंचे इलाक़ों में ट्रैक करने वाले टूरिस्टों की पसंदीदा भी जगह है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूस्खलन के कारण पैदा हुए हालात की जानकारी के लिए रविवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की.समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, प्रधानमंत्री ने जोशीमठ के प्रभावित परिवारों की सुरक्षा और पुनर्वास की तैयारियों के बारे में जानकारी ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा ने भी एक उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी एसएस संधू और डीजीपी अशोक कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया. बैठक के बाद उत्तराखंड के डीजीपी और सेक्रेटरी आरके मीनाक्षी सुंदरम ने लैंडस्लाइड एरिया का जाकर जायजा लिया. इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी (आईएनएसए) के रिटायर्ड वैज्ञानिक डीएम बनर्जी ने कहा है कि फ़ोर लेन हाईवे निर्माण ने पूरे सिस्टम को कमज़ोर कर दिया है और इसे बनाना नहीं आपदा प्रबंधन के अधिकारियों ने जोशीमठ के कुछ हिस्सों को रहने के लिहाज से 'असुरक्षित' घोषित कर दिया है. लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है. जबसे घरों और सड़कों में दरारें चौड़ी होना शुरू हुई हैं जोशीमठ के निवासी डर की वजह से घर छोड़ रहे हैं. अधिकांश लोग अपने घर छोड़कर स्थानीय प्रशासन द्वारा बनाए गए रात्रि विश्राम गृहों में रहने चले गए हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया, "प्रधानमंत्री ने स्थानीय निवासियों की चिंताओं के समाधान और तत्काल और भविष्य की तैयारियों के बारे में बातचीत की." सीएमओ ने कहा है, "इलाक़े में निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे कार्यों और जोशीमठ के हालात पर पीएम व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं." उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित जोशीमठ में पिछले कुछ कई दिनों से ज़मीन में दरारें आ रही हैं और वो चौड़ी होती जा रही हैं. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मुख्यमंत्री धामी ने सरकारी स्तर पर एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी के नेतृत्व में एक 'तालमेल कमेटी' का गठन किया है. स्थानीय स्तर पर गढ़वाल कमिश्नर के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई है जो निवासियों की सुरक्षा, राहत और बचाव के काम की निगरानी करेगी. अभी तक जिन 66 मकानों में बड़ी दरारें आई हैं, उसमें रहने वालों को जोशीमठ से हटा कर रिलीफ़ कैंप में भेज दिया गया है. ज़िला आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, जोशीमठ में अब तक 561 मकानों में दरारें आ चुकी हैं. वैज्ञानिक डीएम बनर्जी ने बताया कि जोशीमठ निचले हिमालयी क्षेत्र में आता है और सिस्मिक ज़ोन 4 में आता है. यहां लोगों को तीन चार माले का मकान नहीं बनाना चाहिए था. उनके अनुसार, जोशीमठ बहुत कमज़ोर ज़मीन पर है. यह पूरा कस्बा 6000-7000 पहले आए एक विशाल भूस्खलन के कारण बने ज़मीन पर बसा है.''''''' स्थानीय लोगों का आरोप है कि जोशीमठ के आसपास चल रही 'थर्मल परियोजनाओं के कारण पहाड़ अंदर से खोखला हो गया है.' जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती का कहना है, "सरकार ने अब कंस्ट्रक्शन का काम क्यों बंद कर दिया है जब हम ज़मीन में समाने की कगार पर हैं. लेकिन उन्होंने हम पर पहले ध्यान क्यों नहीं दिया." अतुल सती का दावा किया है कि तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना के तहत बनाई गई सुरंग ने ज़मीन को खोखला कर दिया है. स्थानीय लोगों की चिंताएं तब और बढ़ गईं जब उन्होंने जोशीमठ के मारवाड़ी वॉर्ड और वॉर्ड 2 की ज़मीन से कीचड़ बाहर आते देखा. लोगों को शक़ है कि ये कीचड़ पहाड़ पर बनाई जा रही सुरंग से रिसता हुआ आ रहा है. इस क्षेत्र का अध्ययन करने वाले भूगर्भशास्त्री एसपी सती बताते हैं कि मारवाड़ी में जो पानी बाहर निकल रहा है, उसका मिलान तपोवन में धौली गंगा के पानी से होना चाहिए. ये वो जगह है जहां एनटीपीसी के तपोवन विष्णुगढ़ की सुरंग परियोजना शुरू होती है. तपोवन जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर है और सुरंग जोशीमठ से पांच किलोमीटर दूर सेलंग में शुरू होती है. स्थानीय लोगों के अनुरोध पर एसपी सती ने अहमदाबाद स्थित फ़िज़िकल रिसर्च लेबोरेटरी से जुड़े नवीन जुयाल और शुभ्रा शर्मा के साथ मिलकर इस क्षेत्र में दरकती ज़मीन का अध्ययन किया है. इन वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जोशीमठ के आसपास के ढलान काफ़ी अस्थिर हो गए हैं. सती बताते हैं कि साल 2013 में चिंताएं जताई गयी थीं कि हाइड्रो पावर परियोजना से जुड़ी सुरंगें उत्तराखंड में तबाही ला सकती हैं. उस साल ये प्रोजेक्ट रोक दिए गए थे. जोशीमठ नगर पालिका ने बीते दिसंबर में कराए अपने सर्वे में पाया है कि इस तरह की आपदा से 2882 लोग प्रभावित हो सकते हैं. नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि अब तक 550 मकान असुरक्षित पाए गए हैं, जिनमें से 150 मकान ऐसे हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं. यही नहीं, साल 2021 की सात फ़रवरी को चमोली में आई आपदा के बाद से पूरी नीति वैली में ज़मीन दरकने की ख़बरें आ रही हैं. साल 2021 में जून से अक्तूबर महीने में भारी बारिश के बाद चिपको आंदोलन की नायिका रही गौरा देवी के रैणीं गांव में भी ज़मीन दरकने की ख़बरें आई हैं. इससे पहले साल 1970 में भी जोशीमठ में ज़मीन धंसने की घटनाएं सामने आई थीं. इस प्राकृतिक आपदा के कारणों की जांच के लिए गढ़वाल कमिश्नर महेश मिश्रा की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी. इस समिति ने साल 1978 में आई अपनी रिपोर्ट में बताया था कि जोशीमठ, नीति और माना घाटी में बड़ी निर्माण परियोजनाओं को नहीं चलाना चाहिए क्योंकि ये क्षेत्र मोरेंस पर टिके हैं. जोशीमठ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री को केंद्र की ओर से 'हर संभव मदद' का आश्वासन भी दिया है.