कोविड दौर में बाहरी दुनिया से जुड़ने के संघर्ष ने यशिता को बनाया लेखिका, मन की यात्रा का वर्णन किया विस्टी एंड द कर्स्ड लैंड में।

Girish Saini Reports

कोविड दौर में बाहरी दुनिया से जुड़ने के संघर्ष ने यशिता को बनाया लेखिका, मन की यात्रा का वर्णन किया विस्टी एंड द  कर्स्ड लैंड में।
कोविड दौर में बाहरी दुनिया से जुड़ने के संघर्ष ने यशिता को बनाया लेखिका, मन की यात्रा का वर्णन किया विस्टी एंड द  कर्स्ड लैंड में।

रोहतक। कोविड-19 महामारी के दौर में क्या बच्चे और क्या बड़े, हर कोई एक जंग लड़ रहा था। ऐसे में स्कूल बंद होने के कारण छोटे बच्चों को भी एक कठिन दौर का सामना करना पड़ा। साथ ही लोगों को अपने भीतर छुपे हुनर दुनिया के सामने लाने का मौका भी मिला। ऐसी ही नन्हीं बच्ची है यशिता दहिया। अपने बहिर्मुखी स्वभाव के विपरीत कोविड दौर में बाहरी दुनिया से जुड़ने के संघर्ष में वह एक संकोची और व्यग्र लड़की के रूप में घर में बंद रही। इस संघर्ष के दौरान लेखन के लिए मिली प्रेरणा ने उसे युवा लेखिका बना दिया। आइये मिलते हैं 12 साल की उत्साही युवा लेखिका यशिता दहिया से। अपनी पहली फिक्शन स्टोरी बुक-विस्टी एंड द कर्स्ड लैंड में यशिता ने अपने मन के भावों और सृजनशीलता को प्रकट करने की अच्छी कोशिश की है। अपनी लेखन यात्रा एवं लेखन अनुभव को साझा करते हुए यशिता कहती है कि अपने अनुभवों को इस बुक स्टोरी का रूप देने में उन्होंने एक साल कड़ी मेहनत की। ख्यालों को एक नोटबुक में सहेजने से हुई शुरुआत अंततः इस किताब के 15 चैप्टर्स के रूप में पाठकों के हाथों में आई। किताब लिखने को एक अविश्वसनीय अनुभव बताते हुए यशिता कहती है किताब की टाइपिंग, एडिटिंग से लेकर प्रूफ रीडिंग तक मैंने खुद की। इसके फ्रंट और बैक कवर का डिजाइन भी मैंने अपने हाथों से बनाया। प्रतिष्ठित किंग्स कॉलेज, इंडिया में कक्षा 8वीं की छात्रा यशिता बताती हैं कि विस्टी एंड द कर्स्ड लैंड एक अमेरिकी लड़की पर आधारित फिक्शन है। इस कथा की मुख्य पात्र 12 साल की विस्टी डेविस है, जो एक अमीर अमेरिकी परिवार की इकलौती बेटी है। विस्टी एंड द कर्स्ड लैंड कहानी है इस युवती की प्रतीकात्मक यात्रा की जिसने धीरे-धीरे अपनी कमजोरियों को ताकत में बदल दिया। हल्की फुल्की लेकिन सच्चाई की खोज में जुटी लड़की की विलक्षण-खोजी-काल्पनिक कहानी। यशिता की पसंदीदा किताबों में पर्सी जैक्सन एंड द ओलम्पियन्स और मिस्टर स्टिंक शुमार है। रिक रिओडेन और डेविड विलियम्स सहित कई अन्य लेखकों से प्रेरित यशिता कहती कि वह एक पूरी श्रृंखला लिखने की योजना पर काम कर रही है। जल्द ही उनकी अगली किताब भी पाठकों के बीच होगी। यशिता कहती है कहानी, कविता, यात्रा वृतांत समेत लेखन की अन्य विधाओं में हमें अपने सृजनात्मक कौशल अवश्य प्रदर्शित करना चाहिए। मन के भावों को दर्शाने के लिए लिखें, क्योंकि लेखन ऐसी कला है जो हमारे ख्यालों की दुनिया को मूर्त रूप देती है। यशिता के पिता और काइनोस अस्पताल के निदेशक डॉ. अरविंद दहिया इतनी कम उम्र में मन के विचारों को किताब के रूप में लिखने पर अपनी बेटी पर गर्व महसूस करते हैं। वहीं यशिता की माता प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय चिकित्सक डॉ. कीर्ति कहती हैं कि बेटी ने इतनी छोटी उम्र में अपने मनोभाव लेखन के माध्यम से प्रकट करने की कोशिश की, जिस पर उन्हें गर्व मिश्रित खुशी है। हालांकि कोविड के दौर में यशिता के माता-पिता अपने पेशे के चलते लोगों की बेशकीमती जानें बचाने में व्यस्त थे, तो अपने अनुभवों को किताब का रूप देने में जुटी यशिता की कोशिश उनके लिए गर्व के साथ ताज्जुब भरी भी थी। यशिता की इस पहली पुस्तक का लोकार्पण बाल दिवस पर उनके स्कूल के प्रधानाध्यापक पॉल पेज, उप प्रधानाध्यापक सुरजीत सिंह, अंग्रेजी शिक्षक मारियाना मेनेजेस, सहपाठियों और माता-पिता की मौजूदगी में हुआ। इसके अलावा यशिता एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह, प्रख्यात शिक्षाविद विजय बल्हारा, प्रो. सोनिया मलिक सहित शहर के प्रतिष्ठित डॉक्टर्स और प्रबुद्धजनों को अपनी किताब भेंट कर चुकी है। इस किताब को पढ़ चुकी मनोविज्ञान की प्रो. सोनिया मलिक कहती है कि यशिता ने अपनी किताब में एक युवा लड़की और उसके पलायन और कल्पना की कहानी को सपने के माध्यम से बताया है। युवा लेखिका ने मन की इस यात्रा को आकर्षक आख्यानों और शक्तिशाली विशेषणों के साथ-साथ हास्य के स्पर्श के माध्यम से खूबसूरती से वर्णित किया है। एक और पाठिका मृणालिनी कहती हैं इस इंटरनेट की रफ्तार भरे युग में बच्चों को पढ़ते और लिखते देखना वाकई खुशी देता है। वहीं अलिशा कहती हैं कि इस किताब को पढ़ना रोचक अनुभव था। खास तौर पर विस्टी का मुख्य किरदार उत्सुकता बनाए रखता है।