उमेश पाल किडनैपिंग केस: 17 साल बाद आज है अहम फैसले का दिन, क्या होगा माफिया अतीक-अशरफ का?
anant tripathi report

उमेश पाल अपहरण मामले में 28 मार्च को कोर्ट अहम फैसला सुनाने वाली है। इस मामले में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को फांसी की सजा होगी या उम्रकैद, फैसले पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी। प्रयागराज: उमेश पाल के अपहरण केस में कल यानी 28 मार्च, मंगलवार को प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट अहम फैसला सुनाएगी। इस केस के अहम आरोपी माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को कोर्ट फांसी की सजा सुनाएगी या उम्रकैद की, इसे लेकर सबकी निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी रहेंगी। अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया है और कड़ी सुरक्षा के बीच उसे नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया है। वहीं उसका बेटा अली पहले से ही नैनी जेल में है। अतीक के भाई अशरफ को भी बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया है और उसे भी नैनी जेल में ही रखा गया है। जेल में हाई सिक्यूरिटी वाले आइसोलेशन सेल में इन कैदियों को रखा गया है। बता दें कि पिछले महीने उमेश पाल का मर्डर हुआ था, जिसका आरोप भी अपहरण के आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई पर है। अतीक अहमद और अशरफ, दोनों को हाई सिक्योरिटी बैरक में नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया है। उमेश पाल अपहरण मामले में कोर्ट के फैसले के समय दोनों कोर्ट में मौजूद रहेंगे। लिहाजा कोर्ट में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इस केस में अतीक और उसके भाई अशरफ को कम से कम 10 साल और अधिकतम फांसी की सजा हो सकती है। इस केस में माफिया अतीक, अशरफ सहित कुल 10 आरोपियों पर प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट फैसला सुना सकता है। माफिया अतीक अहमद का साबरमती से नैनी जेल में आते ही सबसे पहले अपनी पगड़ी उतारी और लंबे सफर से आया हारा-थका हुआ माफिया अतीक स्पेशल हाई सिक्योरिटी बैरक में लेट गया। जिस बैरक में पचास बंदी रखे जाते हैं उसमें अकेले अतीक को रखा गया है। जेल में माफिया अतीक को जेल मेन्यू के हिसाब से बाकी कैदी वाला खाना खाने को मिलेगा। उमेश पाल ने माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सजा दिलाने के लिए 17 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। 28 मार्च से ठीक 31 दिन पहले उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल के घर के पास दिनदहाड़े हुए इस सनसनीखेज हत्याकांड में अतीक अहमद का पूरा कुनबा नामजद आरोपी है। अतीक को इस केस में धारा 364A में कम से कम 10 साल का सश्रम कारावास या फांसी की सजा तक हो सकती है। सुनवाई के दौरान गवाह व वादी उमेश पाल की हत्या भी अधिकतम सजा की वजह बन सकती है। इस केस में जीवित रहते उमेश पाल ने अपनी गवाही पूरी कर ली थी।