आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भारत के सृजन के लिए न्यू इंडियन मार्केट मॉडल तैयार करना होगाः कैप्टन आलोक बंसल
Girish Saini Reports

भारतीय समाज ऐतिहासिक रूप से आत्मनिर्भर रहा है। 17वीं सदी तक विश्व की अर्थव्यवस्था में 25 प्रतिशत योगदान भारत का रहा है। आज जरूरत है कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाकर तथा नवाचारी प्रयोग से फिर से आत्मनिर्भर बनाया जाए। इस कार्य में विश्वविद्यालयों, गैर सरकारी संगठनों तथा उद्यमियों को आगे आकर योगदान देना होगा। यह आह्वान इंडिया फाउंडेशन के निदेशक कैप्टन आलोक बंसल ने सोमवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। एमडीयू के चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज (सीआरएसआई) के तत्वावधान में आयोजित साइको-सोशल-इकोनॉमिक चेंज: एजेंसीज एंड पाथवेज टू आत्मनिर्भर भारत विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में उद्घाटन भाषण देते हुए कैप्टन आलोक बंसल ने कहा कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भारत के सृजन के लिए न्यू इंडियन मार्केट मॉडल तैयार करना होगा। इसमें माइक्रो एंटरप्राइज की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि भारत में एन्त्रोप्रोनियरल इकोसिस्टम के लिए मनोवैज्ञानिक पहल की भी विशेष जरूरत है। कैप्टन आलोक मित्तल ने कहा कि आत्म निर्भरता के इस महत्वपूर्ण मिशन में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की विशेष भूमिका होगी। एमडीयू प्रशासन को इस महत्त्वपूर्ण विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजन के लिए कैप्टन बंसल ने सराहा। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि पूरा विश्व भारत की ओर आशा लगाकर देख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का मिशन समय की जरूरत है। शिक्षण संस्थानों को इनोवेशन तथा स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर न केवल समावेशी तथा संपोषणीय विकास सुनिश्चित करना होगा, बल्कि समाज-राष्ट्र में एन्त्रोप्रोनियरल कल्चर तथा आत्मनिर्भरता की नींव रखनी होगी। कुलपति ने कहा कि आर्थिक विकास के साथ-साथ समाज-राष्ट्र में हैप्पीनेस का वैल्यू एडिशन भी करना होगा। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण देते हुए डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. नवरतन शर्मा ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के मिशन में समाज वैज्ञानिक, मनोविज्ञानी, अर्थशास्त्री तथा अन्य विषयों के शिक्षाविद् अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र उपरांत विशेष सत्र में प्रतिष्ठित शिक्षाविद् तथा पंजाबी विवि, पटियाला की सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. वंदना शर्मा तथा यूनिवर्सिटी मलेशिया के प्रोफेसर डॉ. बालन रथाकृष्णन ने बीज व्याख्यान दिया। सीआरएसआई निदेशक प्रो. इंद्रजीत ने एमडीयू सीआरएसआई की शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी दी। संगोष्ठी की संयोजक प्रो. अंजलि मलिक ने संगोष्ठी की थीम की जानकारी दी। संयोजक प्रो. दीप्ति हुड्डा ने मुख्य अतिथि कैप्टन आलोक बंसल का परिचय दिया। मंच संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. रश्मि ने तथा आभार प्रदर्शन प्रो. देशराज ने किया। इस तीन दिवसीय संगोष्ठी में ऑफलाइन तथा ऑनलाइन माध्यमों से शोध पत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं। लगभग 250 डेलीगेट्स इस संगोष्ठी में भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में एमडीयू की प्रथम महिला तथा हरियाणा वेलफेयर सोसायटी फॉर स्पीच एंड हियरिंग इंपेयरमेंट की अध्यक्ष डॉ. शरणजीत कौर, फैकल्टी डीन, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी आदि मौजूद रहे।