दिव्यांगता एवं मानवाधिकार सप्ताहः दिव्यांगजन जिंदगी के असली मायने और फलसफे सिखाने वाले अहम किरदार।

Girish Saini Reports

दिव्यांगता एवं मानवाधिकार सप्ताहः दिव्यांगजन जिंदगी के असली मायने और फलसफे सिखाने वाले अहम किरदार।

रोहतक। दिव्यांगता अभिशाप नहीं वरदान है। संघर्ष, जोश, जुनून और हौसले से जीवन की हर बाधा को पार किया जा सकता है। जीवन की उड़ान पंखों से नहीं हिम्मत और हौसले से होती है। यह बात एमडीयू द्वारा संचालित दिव्यांगता एवं मानवाधिकार सप्ताह के अंतर्गत मंगलवार को मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित सिंपोजियम में दिव्यांगजनों द्वारा साझे किए गए जीवन के अनुभवों से निकल कर सामने आई। शारीरिक शिक्षा विभाग के कांफ्रेंस कक्ष में- पॉजिटिव हेल्थ एंड डिसेबिलिटी विषय पर आयोजित इस सिंपोजियम में अलग-अलग क्षेत्रों में सकारात्मक सोच के साथ अपनी प्रतिभा, क्षमता एवं मेहनत के दम पर अलग मुकाम बनाने वाले दिव्यांगजनों ने अपने विचार रखे। उन्होंने अपने विचारों से सार्थक संदेश देते हुए कहा कि वे सिर्फ दिव्यांगजन नहीं है, बल्कि जिंदगी के असली मायने और फलसफे सिखाने वाले अहम किरदार हैं। इस कार्यक्रम में इमसॉर के डीन, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज प्रो. ऋषि चौधरी, राजकीय कन्या महाविद्यालय, रोहतक के शिक्षक डॉ. लोकेश बल्हारा, गीता, डॉ. महेश कुमार, सुरजीत, लोकेश कुमार, विदारथी व राजू ने जीवन की विपरीत परिस्थितियों से लड़ने के अपने जज्बे और जुनून को साझा करते हुए कहा कि अपनी मेहनत के बलबूते दिव्यांगजनों ने हर असमर्थता का समर्थता में बदला है। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि डिसेबिलिटी बैरियर नहीं है। अपितु समाज का दृष्टिकोण बाधा है। आज दिव्यांगजनों के प्रति समाज को जागरूक करने, आम जन की सोच को बदलने तथा एनवायरमेंट बैरियर को दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच तथा स्व प्रेरणा द्वारा जीवन की हर बाधा से पार पाया जा सकता है। इस कार्यक्रम की शुरूआत में डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. नवरतन शर्मा ने कहा कि दिव्यांगजन समाज का अहम हिस्सा हैं। प्रो. नवरतन ने कहा कि समाज को दिव्यांगजनों के मनोभाव व मीमांसा को समझने की जरूरत है। सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज के निदेशक प्रो. राधेश्याम ने दिव्यांगता एवं मानवाधिकार सप्ताह कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रूपरेखा के बारे में बताया। इस कार्यक्रम की संयोजक एवं मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. सर्वदीप कोहली ने सिंपोजियम की थीम पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्देश्य को रेखांकित किया। डॉ. शशि रश्मि ने स्वागत भाषण दिया तथा आभार जताया। इस मौके पर मनोविज्ञान विभाग के शिक्षक- प्रो. शालिनी सिंह, प्रो. अरुणिमा गुप्ता, प्रो. अंजलि मलिक, प्रो. दीप्ति हुड्डा, डॉ. बिजेंद्र सिंह, शारीरिक शिक्षा विभाग के प्राध्यापक प्रो. कुलताज सिंह, पीआरओ पंकज नैन समेत शिक्षक, शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद रहे।