तनाव, अकेलापन, सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग तथा संवादहीनता से बढ़ रहा मानसिक असंतुलनः प्रो. दीप्ति हुड्डा

Girish Saini Reports

तनाव, अकेलापन, सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग तथा संवादहीनता से बढ़ रहा मानसिक असंतुलनः प्रो. दीप्ति हुड्डा

रोहतक। मानसिक स्वास्थ्य मौजूदा समय की प्राथमिकता है। हमारा समाज मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अभी सजग नहीं है। यही कारण है कि समाज का एक बड़ा हिस्सा आज मानसिक रूप से अस्वस्थ है और हम उनकी पहचान नहीं कर पाते हैं। आज मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। यह उद्गार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. दीप्ति हुड्डा ने बुधवार को राजकीय महाविद्यालय, सांपला की महिला प्रकोष्ठ द्वारा- किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए। प्रो. दीप्ति हुड्डा ने अपने प्रभावी संबोधन में मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने आज के दौर में किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य गिरने के स्तर पर चिंता जताते हुए इससे जुड़े कारणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य भी हमारे स्वास्थ्य का अहम हिस्सा है। इस भागदौड़ व चकाचौंध की आधुनिक दुनिया में मनुष्य मानसिक विकारों से घिरता जा रहा है, मानसिक द्वंद से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि तनाव, अकेलापन, सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग तथा संवादहीनता कुछ ऐसे मुख्य कारण हैं, जिससे मानसिक असंतुलन की स्थितियां अधिक बढ़ रही है। प्रो. दीप्ति हुड्डा ने विद्यार्थियों से मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के महत्त्वपूर्ण टिप्स साझा किए। कॉलेज प्राचार्य डॉ. परमभूषण आर्य ने प्रारंभ में मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का मुख्य आयाम समायोजनशीलता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति प्राय: द्वंद्व, तनाव, कुंठा व अवसाद से मुक्त होता है। महिला प्रकोष्ठ प्रभारी आशा रानी ने व्याख्यान कार्यक्रम की विषय वस्तु पर पर प्रकाश डाला। मंच संचालन डॉ. दीपक लठवाल ने किया। इस मौके पर महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।