रवीश कुमार: 'लोकसभा तो कोई नहीं ख़रीद सकता'

ajay kumar report

रवीश कुमार: 'लोकसभा तो कोई नहीं ख़रीद सकता'
रवीश कुमार: 'लोकसभा तो कोई नहीं ख़रीद सकता'

जाने-माने पत्रकार और एनडीटीवी के पूर्व एंकर रवीश कुमार ने कहा है कि एनडीटीवी से इस्तीफ़ा देना सही समय पर लिया गया सही फ़ैसला है. उन्हें इस बात का कोई अफ़सोस नहीं हैं. बीबीसी हिंदी को दिए इंटरव्यू में रवीश कुमार ने अदानी-अंबानी, रॉय दंपति और मोदी सरकार से लेकर राजनीति में आने की संभावनाओं के बारे में विस्तार से बात की. रवीश कुमार ने कहा कि एनडीटीवी का ख़रीदा जाना एक सामान्य व्यापारिक फ़ैसला नहीं है.इसके साथ ही उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि उनको निशाना बनाने के लिए एनडीटीवी को ख़रीदा गया है. हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कुछ बातें रौ में या ग़ुस्से में ज़रूर कह दी थीं, लेकिन बात उन्होंने ग़लत नहीं की थी. इन दोनों के इंटरव्यू के बाद कई लोग पूछ रहे हैं कि रवीश कुमार क्या अपने आप को एनडीटीवी ब्रैंड से बड़ा समझने लगे हैं. बीबीसी ने भी रवीश से यह सवाल पूछा. इस पर रवीश कुमार का कहना था, "करण थापर ने जब मुझसे पूछा तो मैं रौ में बोल गया कि हां मुझे निशाना बनाने के लिए किया गया. बात मैंने ग़लत नहीं की. लेकिन यह अहंकार की बात नहीं है. एक इंटरव्यू में अगर मैं ग़ुस्से में बोल रहा हूं तो आप उससे तय नहीं कर सकते कि यह अहंकार की बात है. मैं क्या समझ रहा हूं वो महत्वपूर्ण नहीं है."वो आगे कहते हैं, "जो भी महत्वपूर्ण कारण होंगे उस कंपनी को ख़रीदने के, लेकिन अभी तक ऐसा कोई तथ्य तो नहीं आया है कि डॉक्टर रॉय बाज़ार में ख़ुद गए थे यह कहते हुए कि मैं अपनी कंपनी को बेच रहा हूं. डॉक्टर रॉय अपनी कहानी बताएंगे, मैं अपनी कहानी बताऊंगा. "उन्हें किस तरह से ईडी में बैठाया गया. किस तरह से केस बनाया गया, लेकिन 10 साल में कुछ भी नहीं निकला. फिर वह आदमी चैनल ख़रीदने आता है जिसे मीडिया के मुताबिक़ सरकार के बहुत क़रीब समझा जाता है. वो तस्वीर भी है हवाई जहाज़ की जिसमें अदानी और प्रधानमंत्री बनने वाले मोदी बैठे हैं और इस तरह की धारणा बनाने के लिए वो तस्वीर काफ़ी है."इसके जवाब में रवीश कुमार ने 25 नवंबर को गौतम अदानी के फ़ाइनैंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू का ज़िक्र किया. उस इंटरव्यू में अदानी ने कहा था कि 'सरकार की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन सरकार अगर अच्छा काम कर रही है तो आपको उसकी तारीफ़ करने का गट्स भी होना चाहिए.' रवीश कहते हैं, "मैंने यह सोचा कि यह मेरे लिए एक एडिटोरियल निर्देश है, जिन्हें नहीं लगा वो आज वहां काम कर रहे हैं. मुझे लगा कि यह मेरी तरफ़ भी इशारा है." वो आगे कहते हैं, "बीच में लगता था कि यह देश कभी इतना कमज़ोर नहीं होगा. इसके उद्योगपति इतने बुज़दिल नहीं होंगे कि एक पत्रकार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकेगा. लेकिन उद्योगपति ही डरपोक निकल गए. मेरे दरवाज़े बंद हैं. अगर यूट्यूब जैसा कोई माध्यम नहीं होता तो मैं इस प्रोफ़ेशन से 10 रुपए भी नहीं कमा सकता था."