ज्ञान-विज्ञान प्रौद्योगिकी का कल्याणकारी उपयोग कर भारत को विश्व गुरू बनाने की प्रगति यात्रा में योगदान दें: प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे

Girish Saini Reports

ज्ञान-विज्ञान प्रौद्योगिकी का कल्याणकारी उपयोग कर भारत को विश्व गुरू बनाने की प्रगति यात्रा में योगदान दें: प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे

रोहतक। भारत का प्राचीन विज्ञान उन्नत विज्ञान रहा है। भारत की प्राचीन संस्कृति-दर्शन वैश्विक कल्याण की संकल्पबद्धता का प्रतीक रहा है। जरूरत है कि ज्ञान-विज्ञान प्रौद्योगिकी का कल्याणकारी उपयोग कर भारत को विश्व गुरू बनाने की प्रगति यात्रा में योगदान दें। ये आह्वान प्रतिष्ठित शिक्षाविद्, नेशनल एजुकेशन टैक्नोलोजी फोरम के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का थीम- ग्लोबल साइंस फॉर ग्लोबल वेलबिंग भारतीय सांस्कृतिक परंपरा और वसुधैव कुटुंबकम को प्रतिबिंबित करता है। उनका कहना था कि विज्ञान-गणित की उत्पत्ति का स्त्रोत भारत ही है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने के लिए अधिक फंडिंग की बात रखते हुए कहा कि वैज्ञानिक खोज तथा नवोन्मेष के लिए माइंडसेट महत्त्वपूर्ण है। वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए विविध गतिविधियां आयोजित करने की एमडीयू की पहल को प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने सराहा। एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के महत्त्व तथा डा. सी.वी. रमण के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। कुलपति ने विशेष रूप से डा. सी.वी. रमण के शोध कार्य के प्रति जुनून का उल्लेख करते हुए कहा कि वैज्ञानिक शोध सहित किसी भी कार्य में जोश-जुनून होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जीवन में पैशन (जुनून) तथा कम्पैशन (करूणा) बेहद जरूरी है। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय समुदाय में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए समग्र प्रयास किए जाएंगे। टैगोर सभागार में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रम में गत दिवस रसायन शास्त्र विभाग, भौतिकी विभाग तथा कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन्ज विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगी इवेंट्स के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इस कार्यक्रम में डीन, एकेडमिक एफेयर्स प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने भारत के प्राचीन विज्ञान की महिमा तथा उपलब्धियों का बखान करते हुए बताया कि प्राचीन रसेशवर दर्शन में रसायनशास्त्र का अद्भुत ज्ञान समाहित था। प्रसिद्ध गणितज्ञ आर्य भट्ट, भास्काराचार्य, वराहमिरी के गणित के क्षेत्र में तथा ऋषि कनाड़ के पदार्थ विज्ञान (भौतिकी) क्षेत्र में योगदान उल्लेखनीय है। प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने आधुनिक विज्ञान-प्रौद्योगिकी तथा प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के सामंजस्य की बात को रखा। कार्यक्रम में रसायनशास्त्र विभाग की अध्यक्षा प्रो. सपना गर्ग ने स्वागत भाषण दिया। कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन्ज विभागाध्यक्ष प्रो. नसीब सिंह गिल तथा भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजेश पूनिया ने भी इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस थीम पर विचार रखे। कार्यक्रम में मंच संचालन कंप्यूटर साइंस विभाग की सहायक प्रोफेसर डा. पूजा मित्तल ने किया। संचालन सहयोग शोधार्थी प्रिया ने दिया। आभार प्रदर्शन डीन, स्टूडेंट वेल्फेयर प्रो. राजकुमार ने किया। इस कार्यक्रम में डीन, कालेज डेवलपमेंट काउंसिल प्रो. ए.एस. मान, डीन इंजीनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी प्रो. युद्धवीर सिंह, निदेशक यूआईईटी प्रो. राहुल ऋषि, निदेशक एसीआईएल प्रो. अरूण नंदा, डीन फार्मेसी प्रो. संजू नंदा, डीन एजुकेशन प्रो. आरपी गर्ग, प्रो. संजय दहिया, प्रो. कुलताज सिंह, प्रो. नीरू राठी समेत विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में पुरस्कृत किए गए प्रतिभागी विद्यार्थी रहे: निबंध लेखन प्रतियोगिता में यूआईईटी की ईशा सैनी को प्रथम, राजनीति विज्ञान की प्रीति यादव को दूसरा, कंप्यूटर साइंस की नेहा यादव को तीसरा तथा यूआईईटी की अनन्या को सांत्वना पुरस्कार मिला। विज्ञान प्रश्रोत्तरी प्रतियोगिता में रसायन शास्त्र के अविनाश तथा बेबी ने प्रथम, यूआईईटी के आयुष भंडारी तथा विशन ने दूसरा तथा भौतिकी के आलोक चंदर तथा रविन्द्र कुमार ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में खुशबू को प्रथम, अंजलि को द्वितीय तथा प्रिया को तृतीय पुरस्कार मिला। स्लोगन राइटिंग प्रतियोगिता में साक्षी को प्रथम, यश को द्वितीय तथा अनु को तृतीय पुरस्कार मिला। कविता पाठ प्रतियोगिता में अविनाश को प्रथम, कविता को द्वितीय तथा दीपक को तीसरा पुरस्कार मिला।