राष्ट्रीय सुरक्षा में कूटनीति, नागरिकों, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा भी सम्मिलितः ले. जनरल बलबीर सिंह
Girish Saini Reports

रोहतक। राष्ट्रीय सुरक्षा केवल बॉर्डर, बंदूकों और पटाखों का खेल नहीं है, अपितु इसके अंतर्गत कूटनीति, नागरिकों की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा सम्मिलित हैं। यह उद्गार भूतपूर्व सेना अधिकारी ले. जनरल बलबीर सिंह ने बुधवार को एमडीयू के रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग द्वारा स्वराज सदन में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में व्यक्त किए। इस कार्यशाला का विषय- राष्ट्रीय सुरक्षा: 21वीं सदी के मुद्दे एवं चुनौतियां रहा। मुख्य अतिथि ले. जनरल बलबीर सिंह ने कहा कि मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा को देश पर होने वाले बाहरी आक्रमण को लेकर देखा जाता है। लेकिन इसमें युद्ध से सुरक्षा के अलावा देश को आतंकवाद से बचाना, अपराध कम करना, आर्थिक सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और साइबर सुरक्षा शामिल हैं। ले. जनरल बलबीर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा बेशक सरकार का कर्तव्य है। परंतु नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा की मजबूती में अपना योगदान दें। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं एवं खतरों के बारे में विस्तार से बताया। बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के प्रो. कमल किंगर ने- कंटेंपरेरी इंटरनेशनल स्ट्रेटीज एनवायरमेंट: चैलेंज्स एंड ऑप्शंस फॉर इंडिया विषय पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत की सुरक्षा को खतरा केवल शक्तिशाली पड़ोसी देशों से नहीं है, अपितु साथ में आर्थिक रूप से कमजोर पड़ोसी देशों से भी बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं के साथ-साथ साइबर सिक्योरिटी, वाटर सिक्योरिटी, एनवायरनमेंट सिक्योरिटी, इकोनॉमी सिक्योरिटी आदि मुद्दे भी महत्त्वपूर्ण हैं। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. नवरतन शर्मा ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में हर नागरिक का योगदान महत्त्वपूर्ण है और राष्ट्र सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने की दिशा में अहम भूमिका निभाता है। सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. आरएस सिवाच ने भी इस दौरान अपने विचार रखे। रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी सिंह ने प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए कार्यशाला की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। कार्यशाला समन्वयक डॉ. प्रताप सिंह ने आभार प्रदर्शन किया। सह-समन्वयिका प्रोमिला रांगी ने कार्यशाला समन्वयन-संचालन में सहयोग दिया। कार्यशाला के अंत में मुख्यातिथि व विशिष्ट अतिथि ने विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर दिए। इस मौके पर मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. सर्वदीप कोहली, प्रो. सोनिया मलिक, प्रो. विनिता शुक्ला, डॉ. विकास कुमार, पीआरओ पंकज नैन सहित प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।