लुवास में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से निजात पाने के लिए 21 दिवसीय प्रशिक्षण शुरू।

Girish Saini Reports

लुवास में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से निजात पाने के लिए 21 दिवसीय प्रशिक्षण शुरू।

हिसार। लाला लाजपतराय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग में 35 वें आईसीएआर, सेंटर ऑफ़ एडवांस फैकल्टी ट्रेनिंग (कैफट) का उद्घाटन किया गया। इस ट्रेनिंग का आयोजन कुलपति प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार वर्मा के दिशा निर्देशन में किया जा रहा है । इस 21 दिवसीय पाठ्यक्रम के दौरान भारतवर्ष से विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों को पशुधन और कुक्कुट में रोगाणुरोधी प्रतिरोध का संयोजन: आधुनिक रोग निरीक्षण, निदान और चिकित्सा विषय पर प्रशिक्षित किया जाएगा। बतौर मुख्य अतिथि लुवास के अनुसंधान निदेशक डॉ. नरेश जिंदल ने बताया कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध या एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस उस स्थिति को कहते हैं जब जीवाणु उन दवाइयों के प्रति अनुकूलित हो जाते हैं जो उन्हें मारने के लिए बनाई गई हैं। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस बैक्टीरिया के कारण होने वाले पशुओं और मनुष्यों में इन्फेक्शन का इलाज करना मुश्किल हो जाता है । यह विश्व भर में एक उभरती हुई चुनौती है तथा इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था तथा पशुओ की उत्पादन क्षमता पर पड़ता है । मुख्य अतिथि ने आशा व्यक्त की कि यह ट्रेनिंग प्रतिभागियों के ज्ञान में वृद्धि करेगा और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की समस्या पर अंकुश लगाने में भूमिका निभाएगा। उन्होंने आगे कहा की एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के चलते उपचार विफलता के कारण होने वाले नुकसान से भी बचाएगा को पशुपालको की आय में सुधार लायेगा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने आयोजकों द्वारा तैयार प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पत्रिका का विमोचन भी किया। विभागाध्यक्ष एवं पाठ्यक्रम के निदेशक डॉ. राजेश छाबड़ा ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए अनुसंधान, शिक्षण, विस्तार और मानव संसाधन विकास गतिविधियों के संचालन में विभाग के गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि इस 21 दिवसीय कोर्स का उद्देश्य युवा वैज्ञानिकों के कौशल में सुधार लाना है। पाठ्यक्रम के दौरान प्रशिक्षुओं को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के अलावा विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए जाएंगे। पाठ्यक्रम की संयोजक डॉ. स्वाति दहिया ने कोर्स के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि एंटीबायोटिक का कृषि, पशुपालन तथा मनुष्य चिकित्सा में अंधाधुंध उपयोग ही एंटीबायोटिक रेसिसटेंस का सबसे बड़ा कारण है । पूरी दुनिया में इस स्थिति में सुधार के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है । इसी कड़ी में इस कोर्स में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से निजात पाने के नवीन उपायों के बारे में प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया जायेगा । इस कोर्स में 7 राज्यों के जीव विज्ञान, पशु चिकित्सा क्षेत्र के 8 विषयो से से 24 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इस दौरान देश के विभिन्न भागों से विशेषज्ञों द्वारा विविध विषयों पर व्याख्यान दिए जाएंगे। प्रशिक्षणार्थियों को विषय से सम्बन्धित विभिन्न संस्थानों का दौरा भी करवाया जाएगा। इस पाठ्यक्रम को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित किया गया है। कोर्स समन्वयक डॉ. अखिल कुमार गुप्ता ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। उद्घाटन समारोह में डॉ. सुरेंद्र कादियान, डॉ. नरेश कुमार कक्कड़, डॉ. अंशुल लाठर, डॉ. प्रवीन कुमार, डॉ. महावीर सिंह, डॉ जीनू मनोज और डॉ. अनीता सहित अन्य वैज्ञानिक व विद्यार्थी मौजूद रहे।