फॉरेंसिक साइंस विभाग में कार्यशाला आयोजित

Girish Saini Reports

फॉरेंसिक साइंस विभाग में कार्यशाला आयोजित

रोहतक। एमडीयू के फोरेंसिक साइंस विभाग में बुधवार को - अंडरस्टैंडिंग चैन ऑफ कस्टडी इन फॉरेंसिक इंवेस्टिगेशन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। फोरेंसिक साइंस विभागाध्यक्ष डॉ. नीलकमल तथा जेनेटिक्स विभागाध्यक्ष प्रो. मीनाक्षी वशिष्ठ ने इस कार्यशाला का शुभारंभ किया। डॉ. नीलकमल ने प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए विषय की महत्ता पर प्रकाश डाला। कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ. राजविन्द्र ने कार्यशाला की विषय वस्तु तथा उद्देश्य पर प्रकाश डाला। पीजीआईएमएस, रोहतक के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. एस.के. धत्तरवाल, सीएफएसएल, नई दिल्ली की डिजिटल फोरेंसिक यूनिट के हेड डॉ. पी.के. गोट्टम तथा हरियाणा स्टेट फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी, मधुबन के सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. अंशुमन राय ने बतौर की-नोट स्पीकर कार्यशाला में शिरकत की। डॉ. एस.के. धत्तरवाल ने मेडिको-लीगल मामलों में चैन ऑफ कस्टडी के महत्व पर व्याख्यान दिया। इस सत्र की अध्यक्षता तथा समापन डॉ. एस.के. तिवारी ने की। डा. पी.के. गोट्टम ने डिजिटल सबूतों के लिए चैन ऑफ कस्टडी के रखरखाव बारे चर्चा की। उन्होंने न्यायालय में स्वीकृति के लिए सबूतों के उचित दस्तावेजीकरण और संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। तपेश्वर भारद्वाज ने इस सत्र का समापन किया। डॉ. अंशमन राय ने जैविक नमूनों की चेन ऑफ कस्टडी के बारे में बताया। इस सत्र का समापन प्रियंका ने किया। कार्यशाला के अंत में संयुक्त आयोजन सचिव डॉ. सपना शर्मा ने अतिथि वक्ताओं का आभार जताया। इस मौके पर विभाग के शिक्षक, शोधार्थी- तपेश्वर भारद्वाज, प्रीति, उत्तम सिंह, पारूल, रवि, प्रियंका, अरूण, निशा, जसबीर समेत फोरेंसिक, जेनेटिक्स व अन्य विभागों के शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।