दिव्यांगजन को राष्ट्रीय शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़े जाने की जरूरतः कुलपति प्रो. राजबीर सिंह
Girish Saini Reports

रोहतक। समावेशी शिक्षा समाज तथा राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी है। जरूरी है कि दिव्यांगजन को राष्ट्रीय शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के प्रावधान भी समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देते हैं। एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा समावेशी शिक्षा विषय पर आयोजित परिसंवाद कार्यक्रम में यह बात कही। एमडीयू द्वारा मनाए जा रहे दिव्यांगता एवं मानवाधिकार सप्ताह के तहत छात्र कल्याण कार्यालय, सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज तथा हरियाणा वेलफेयर सोसाइटी फॉर पर्सन्स विद स्पीच एंड हियरिंग इंपेयरमेंट, पंचकूला के संयुक्त तत्वावधान में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि दिव्यांगता मानव विविधता का एक अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा कि आज वक्त का तकाजा है कि दिव्यांग को समाज मानव विविधता के अहम हिस्से के तौर पर स्वीकार करे। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने डिसेबिलिटी से जुड़े अहम मुद्दों को रेखांकित करते हुए इस दिशा में सार्थक पहल करने की बात कही। हरियाणा वेलफेयर सोसाइटी फॉर पर्सन्स विद स्पीच एंड हियरिंग इंपेयरमेंट, पंचकूला की चेयरपर्सन डॉ. शरणजीत कौर ने कहा कि एनईपी 2020 में साइन लैंग्वेज पर विशेष फोकस किया गया है। उन्होंने समावेशी शिक्षा के लिए बनाए गए प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत की बात कही। उन्होंने एमडीयू द्वारा इस दिशा में प्रारंभ किए गए सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज की सराहना करते हुए कुलपति प्रो. राजबीर सिंह तथा एमडीयू परिवार को बधाई दी। बतौर पैनेलिस्ट प्रतिष्ठित शिक्षाविद प्रो. एसपी मल्होत्रा, दिल्ली विवि की प्रो. युक्ति शर्मा तथा पंजाबी विवि, पटियाला की प्रो. किरणदीप कौर तथा इंडियन साइन लैंगवेज टीचर डॉ. ब्रिजेश ने कार्यक्रम में अपने विचार रखे। प्रो. एसपी मल्होत्रा ने कहा कि दिव्यांगजनों के विकास में मानव सोच ने ही बाधाएं खड़ी की हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों की जरूरत के हिसाब से पाठ्यक्रम में बदलाव लाने तथा शिक्षकों को भी समावेशी शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करने की बात प्रो. मल्होत्रा ने कही। प्रो. युक्ति शर्मा ने समाज को साइन लैंग्वेज बारे जागरूक करने की बात कही। उन्होंने एमडीयू के इस कार्यक्रम को विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा समाज को दिव्यांगजनों एवं उनके मुद्दों बारे संवेदनशील बनाने की अहम पहल बताते हुए इस कार्यक्रम की सराहना की। प्रो. किरणदीप कौर ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को भी आम बच्चों की तरह स्कूलों में पूरे सम्मान के साथ दाखिला दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेगुलर स्कूलों में स्पेशल बच्चों को शिक्षा न देना उनके मानवाधिकारों का हनन है। इंडियन साइन लैंग्वेज टीचर डॉ. ब्रिजेश ने समावेशी शिक्षा की राह में आने वाली चुनौतियां पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज शिक्षण संस्थानों में साइन लैंग्वेज का ज्ञान शिक्षकों को होना जरूरी है। साइन लैंग्वेज द्वारा ही डिसेबल बच्चों को शिक्षक समझ सकते हैं। शिक्षा विभागाध्यक्ष व इस कार्यक्रम की संयोजक डॉ. नीरू राठी ने प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए कहा कि समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को एक दूसरे के साथ लाती है। आयोजन सचिव डॉ. माधुरी हुड्डा ने परिसंवाद कार्यक्रम की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला। सह-संयोजक प्रो. जितेंद्र कुमार, आयोजन सचिव डॉ. वनिता रोज, संयुक्त सचिव डॉ. उमेंद्र मलिक ने कार्यक्रम आयोजन में सहयोग दिया। स्वाति बांगड़ ने मंच संचालन किया। इस मौके पर डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. राजकुमार, सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज के निदेशक प्रो. राधेश्याम, निदेशक आईएचटीएम डॉ. संदीप मलिक, निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी, पीआरओ पंकज नैन समेत शिक्षण महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।