'खूब बंट रही हैं फर्जी डिग्रियां, गहलोत जी पुत्र मोह में लाखों बेटों-बेटियों का दर्द भुला चुके'

palak sharma report

'खूब बंट रही हैं फर्जी डिग्रियां, गहलोत जी पुत्र मोह में लाखों बेटों-बेटियों का दर्द भुला चुके'
'खूब बंट रही हैं फर्जी डिग्रियां, गहलोत जी पुत्र मोह में लाखों बेटों-बेटियों का दर्द भुला चुके'

नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने गहलोत सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, सरकार के संरक्षण में शिक्षा माफिया फर्जी डिग्रियां बांट रहे हैं। बेनीवाल ने गहलोत पर तंज कसते हुए कहा, पुत्र मोह में प्रदेश के लाखों बेटों-बेटियों का दर्द भुल चुके हैं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने फर्जी डिग्रियों के मामले को लेकर गुरुवार को ट्वीट कर गहलोत सरकार पर फिर हमला बोला है। बेनीवाल ने कहा, राजस्थान फर्जी विश्वविद्यालयों का अड्डा इसलिए बन गया है, क्योंकि यहां पर राज्य सरकार और निजी विश्वविद्यालयों के संचालकों के बीच गहरी सांठ-गांठ है। अधिकतर निजी विश्वविद्यालय संचालक सरकार को सालाना दो करोड़ रुपये देते हैं। सांसद बेनीवाल ने कहा, राजस्थान की आबादी उत्तर प्रदेश की तुलना में कुछ भी नहीं है। उस बड़े प्रदेश में तो महज 27 प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं, जबकि राजस्थान में 52 निजी विश्वविद्यालय खुल चुके हैं और कई पाइप लाइन में हैं। यहां पैसों का खुला खेल है, इसी के चलते राजस्थान में पेपर लीक के साथ-साथ फर्जी डिग्री वितरण का काम जोरों पर चल रहा है। बेनीवाल ने आरोप लगाते हुए कहा, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग गठन करने की बात कही थी, लेकिन बाहुबलियों और शिक्षा माफियाओं के सामने सरकार ने घुटने टेक दिए। इसी आड़ में इन विश्वविद्यालयों में कोई नियम कायदे नहीं हैं। मनमानी तरीके से डिग्रियां बांटी जा रही हैं, वहां कार्यरत स्टॉफ और छात्रों का शोषण हो रहा है, बावजूद इसके सरकार चुप है। पूर्व सीएम वसुंधरा पर साधा निशाना... सांसद बेनीवाल ने कहा, यह खेल वसुंधरा राजे सरकार में भी चल रहा था, जिसे गहलोत सरकार ने आगे बढ़ाने का काम किया। जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी की ओर से 20 हजार से अधिक फर्जी डिग्री बांटने की बात हो या जयपुर के जवाहर नगर में जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के मालिक के फॉर्म हाउस के सामने चार छात्रों ने सेल्फी क्या ली, यूनिवर्सिटी के मालिक के इशारे पर वहां के सुरक्षा गार्ड ने तीन छात्रों को गोली मार दी और उस समय यह मामला विधानसभा सत्र में भी सरकार के सामने आया। लेकिन उस विश्वविद्यालय संचालक के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। विश्वविद्यालयों की मान्यता तक नहीं... बेनीवाल ने कहा कि निजी विश्वविद्यालय साल 2009 में खुल गए, पर आज तक यूजीसी से मान्यता तक नहीं ली है। सैकड़ों छात्र बिना मान्यता के कोर्स करके निजी विश्वविद्यालय संचालकों के चंगुल में फंस गए, लेकिन विश्वविद्यालय संचालकों की सरकार में मुख्यमंत्री तक सीधी पहुंच होने के कारण छात्रों की कहीं सुनवाई नहीं होती और आज इन संचालकों ने गली-गली में अपने दलाल बैठा रखे हैं, जो डिग्रियां बांट रहे हैं और एक व्यक्ति का नाम डिग्री बांटने के खेल में अभी सामने आए, मगर सीबीआई जांच हो तो इस तरह के सैकड़ों माफियाओं के नाम सामने आएंगे। बेनीवाल ने सीएम गहलोत से उनका पक्ष रखने को भी कहा और बोला की मुख्यमंत्री जवाब दें। पेपर लीक मामले को लेकर सांसद बेनीवाल ने कहा कि गहलोत सरकार में जरा सी भी संवेदनशीलता बची है तो सीबीआई जांच की सिफारिश करे। मुख्यमंत्री अपने पुत्र मोह में राजस्थान के लाखों बेटों-बेटियों के दर्द को भुला चुके हैं। बेनीवाल ने ट्वीट में सीएम पर तंज कसते हुए कहा, आपने चार साल से जिसे जयपुर पुलिस कमिश्नर बना रखा है, उसके खौफ में अपने बेटे को बतौर आरसीए अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचन करवा दिया। मगर चार साल से सरकारी नौकरी की उम्मीद में लाखों का कर्ज लेकर पढ़ाई करने वाले मेहनतकश छात्र- छात्राओं के सपनों को चकनाचूर करके रखा है? ऐसे में प्रदेश सरकार के मुखिया होने के नाते क्या आपका यह दायित्व नहीं बनता कि आप प्रदेश के लाखों बेटों-बेटियों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोकें? सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत में जरा सी भी संवेंदशीलता बची है तो उन्हें वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा सहित रीट और उन तमाम भर्तियों के मामले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश कर देनी चाहिए, जिनके पेपर लीक हुए थे। ताकि पेपर लीक मामलों में पर्दे के पीछे बैठे असली गुनहगारों के चेहरे सामने आ सके। सांसद ने कहा कि ओबीसी आरक्षण में व्याप्त विसंगतियों को दूर करवाने की मांग को लेकर प्रदेश भर के ओबीसी वर्ग से जुड़े अभ्यर्थियों ने 30 सितंबर को जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दिया था। इसके बाद 30 सितंबर को ही कांग्रेस पार्टी के विधायकों और सत्ताधारी दल के कई नेताओं तथा मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसरों व सरकार के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता हुई और उसके बाद कांग्रेसी नेताओं और विधायकों द्वारा 48 घंटे में ही ओबीसी आरक्षण में व्याप्त विसंगतियों को दूर करवाने की बात सार्वजनिक रूप से कही गई थी। मगर 48 घंटे बाद भी ऐसा नहीं किया गया और जो परिपत्र सरकार ने सात दिसंबर 2022 को जारी किया, वो समझौते के अनुसार 30 सितंबर से ही मान्य होना चाहिए था। मगर सरकार ने ऐसा नहीं किया, जो सरकार की कथनी और करनी में अंतर को दर्शाता है। क्योंकि समझौते के बाद भी कुछ भर्तियों की विज्ञप्तियों में सरकार ने ओबीसी वर्ग के संबंध में जारी पुराने परिपत्र के अनुसार ही भर्ती निकाली। इससे साफ जाहिर है कि ओबीसी अभ्यर्थियों के सामने 30 सितंबर को कुछ कांग्रेसी नेताओं ने भ्रामक बातें कहीं। हाल ही ओबीसी आरक्षण में व्याप्त विसंगतियों को दूर करवाने के लिए लगातार आंदोलित रहे छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने जयपुर आवास पर सांसद बेनीवाल से मुलाकात करके ओबीसी आरक्षण में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने के लिए सरकार द्वारा सात दिसंबर 2022 को जारी फरमान को प्रस्तावित 1.25 लाख भर्तियों में भी लागू करवाने और चार साल से तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए तुगलकी फरमान के कारण ओबीसी वर्ग के युवाओं के हुए नुकसान की भरपाई के लिए तत्काल शैडो पोस्ट सृजित करवाने की मांग ज्ञापन देकर रखी, जिस पर सांसद ने सीएम गहलोत को ट्वीट करके तत्काल आवश्यक कार्यवाही करने की मांग रखी।