एमडीयू में तीन दिवसीय हरियाणा लिटरेरी फेस्टिवल प्रारंभ, हरियाणवी संस्कृति, इतिहास और विरासत की झलक आई नजर।

Girish Saini Reports

एमडीयू में तीन दिवसीय हरियाणा लिटरेरी फेस्टिवल प्रारंभ, हरियाणवी संस्कृति, इतिहास और विरासत की झलक आई नजर।
एमडीयू में तीन दिवसीय हरियाणा लिटरेरी फेस्टिवल प्रारंभ, हरियाणवी संस्कृति, इतिहास और विरासत की झलक आई नजर।

रोहतक। हरियाणा की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और विरासत तथा राष्ट्र निर्माण में प्रदेश के योगदान को मुखरित करते हुए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में वीरवार को हरियाणा लिटरेरी फेस्टिवल (एचएलएफ) 2022 का आगाज हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित सैन्य अधिकारी ले. जन. (सेवानिवृत) दीपेंद्र सिंह हुड्डा तथा मदवि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने इस तीन दिवसीय साहित्यिक-सांस्कृतिक-बौद्धिक महोत्सव का उद्घाटन किया। एचएलएफ 2022 के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि भारतीय थल सेना के सेवानिवृत्त ले. जन. डी. एस. हुड्डा ने कहा कि भारत के इतिहास में सैन्य संस्कृति के अलावा भी हरियाणा का विशेष योगदान है। हरियाणवी पहचान की विशिष्टता के संरक्षण के साथ-साथ हमें राष्ट्रीय पहचान को सुदृढ़ करना होगा। ले. जन. हुड्डा ने कहा कि ऐतिहासिक विरासत, साहित्य और संस्कृति किसी भी समाज की जीवन रेखा है। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग को अपने इतिहास तथा सांस्कृतिक विरासत का ज्ञान अवश्य होना चाहिए। एचएलएफ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि हरियाणा वेद तथा भगवत गीता के उपदेश की पवित्र धरती है। इस प्रदेश की माटी ने कवि, शायर, लेखक, संगीतज्ञ दिए हैं। इस संदर्भ में उन्होंने अल्ताफ हुसैन हाली, पं. लख्मीचंद, पं. दीनदयाल, बाबू बालमुकुंद गुप्त, पं. मांगे राम, बाजे भगत, जाट मेहर सिंह, गुलाम जिलानी रोहतकी, सरदारी बेगम, पं. माधव प्रसाद मिश्र आदि का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जरूरत है कि हरियाणा के समृद्ध साहित्यिक- सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक फलक पर प्रचारित-प्रसारित किया जाए। कुलपति ने युवा वर्ग को सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस फेस्टिवल को वार्षिक आयोजन बनाया जाएगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में एचएलएफ के संयोजक राजकीय स्नातकोत्तर नेहरू कॉलेज, झज्जर एलुमनाई एसोसिएशन अध्यक्ष कर्नल योगेंद्र सिंह ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि एचएलएफ के आयोजन का उद्देश्य हरियाणा की विशिष्ट पहचान को संरक्षित तथा सुदृढ़ करना है। इस कार्यक्रम के विश्वविद्यालय संयोजक, हरियाणा अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. जे.एस. धनखड़ ने कहा कि ये फेस्टिवल समावेशी हरियाणवी पहचान को स्वर दे रहा है। हरियाणा की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान को देश-विदेश में बुलंद करने की जरूरत को प्रो. धनखड़ ने रेखांकित किया। उद्घाटन सत्र में मंच संचालन छात्र विनय मलिक तथा छात्रा हेमंत धनखड़ ने किया। इस मौके पर डीन, स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. राजकुमार, डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. नवरतन शर्मा, डीन (मानविकी तथा कला संकाय) प्रो. हरीश कुमार, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, सैन्य अधिकारी, शिक्षाविद, प्रबुद्ध नागरिक, शोधार्थी, विद्यार्थी आदि मौजूद रहे। एचएलएफ 2022 के अंतर्गत हरियाणा के सैन्य इतिहास तथा सांस्कृतिक धरोहर पर प्रदर्शनी भी लगाई गई। उद्घाटन सत्र का आयोजन राधाकृष्णन सभागार में हुआ। मदवि छात्रों ने इस मौके पर नृत्य व गायन प्रस्तुति भी दी। वहीं, एचएलएफ 2022 के साहित्यिक-सांस्कृतिक सत्रों का आयोजन स्वराज सदन में किया गया। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक कर्नल युवराज मलिक, संस्कृति कर्मी हरविंदर मलिक, निर्मल बुरड़क, प्रो. पूर्णचंद शर्मा सहित अन्य आमंत्रित वक्ताओं ने अपने विचार साझे किए। मदवि के हरियाणा अध्ययन केंद्र, छात्र कल्याण कार्यालय तथा राजकीय स्नातकोत्तर नेहरू कॉलेज, झज्जर एलुमनाई एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में इस तीन दिवसीय हरियाणा लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है।