विद्यार्थियों के चहुंमुखी विकास में साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं कला गतिविधियों की अहम भूमिकाः कुलपति प्रो. राजबीर सिंह
Girish Saini Reports

रोहतक। साहित्य, संगीत और कला किसी भी समाज एवं राष्ट्र की प्रगति का पैमाना होते हैं। रंग महोत्सव जैसे कार्यक्रम साहित्य, संगीत और कला के क्षेत्र में युवाओं को मंच प्रदान कर उनकी प्रतिभा को सामने लाने का कार्य करते हैं। विद्यार्थियों की कला को विकसित करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम एमडीयू में समय-समय पर आयोजित किए जा रहे हैं। यह बात एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने वीरवार को टैगोर सभागार में रंग महोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कही। रंग महोत्सव के अंतर्गत वीरवार को रंग सुर कार्यक्रम शुरू हुआ। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विद्यार्थियों के चहुंमुखी विकास में साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं कला गतिविधियों की महत्ती भूमिका है। उन्होंने विद्यार्थियों से रंग महोत्सव में पूरे उत्साह एवं जोश के साथ बढ़चढ़ कर भाग लेने का आह्वान किया। कुलपति ने कहा कि जीवन में खुशी के लिए कलात्मक चीजों से जुड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी शिक्षा के साथ-साथ जीवन जीने की कला भी विकसित करें। उन्होंने इस कार्यक्रम को विद्यार्थियों की छिपी प्रतिभा को सामने लाने का सही मंच बताया। एमडीयू की प्रथम महिला डॉ. शरणजीत कौर ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को पढ़ लिख कर अपने गांव, शहर, देश का नाम रौशन करने की बात कही। उन्होंने एक मनमोहक रचना के साथ विद्यार्थियों को जीवन में मूल्यों को आत्मसात कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। डीन, स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. राजकुमार ने प्रारंभ में स्वागत भाषण दिया तथा रंग महोत्सव की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। निदेशक युवा कल्याण डॉ. जगबीर राठी ने कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वयन किया। प्रो. राजकुमार तथा डॉ. जगबीर राठी ने कार्यक्रम में अपने गीतों की मनमोहक प्रस्तुतियों से उपस्थित जन को झूमा दिया। इस मौके पर रंग महोत्सव में आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों के कंवीनर- प्रो. हरीश कुमार, प्रो. विमल, प्रो. रणदीप राणा, प्रो. विनीता हुड्डा, प्रो. आशीष दहिया समेत अन्य अधिकारी, शिक्षक, गैर शिक्षक कर्मी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे। रंग सुर कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने गायन एवं नृत्य में अपनी मनभावन प्रस्तुतियों से खूब समां बांधते हुए तालियां बटोरी। नृत्य में विधि ने प्रथम, सांची (मुस्कान) ने दूसरा तथा भूमि ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। गायन में राजीव ने प्रथम, चांदनी ने दूसरा तथा खुशबू ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्रतिष्ठित संस्कृतिकर्मी सुनील भटनागर, नितिन त्रिखा तथा करन सैनी ने निर्णायक मंडल की भूमिका निभाई। संगीत विभाग के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने कार्यक्रम समन्वयन में विशेष सहयोग दिया।