मुग़ल गार्डन अब अमृत उद्यान: नाम बदलने का चलन, राजनीति या कुछ और

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मुग़ल गार्डन अब अमृत उद्यान: नाम बदलने का चलन, राजनीति या कुछ और

इस साल दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के मशहूर 'मुग़ल गार्डन' घूमने की चाहत रखने वाले जब 31 जनवरी से वहां पहुंचना शुरू करेंगे तो उन्हें ये नाम कहीं नहीं दिखेगा. शनिवार को जानकारी दी गई कि राष्ट्रपति भवन के सभी बागों का नाम 'अमृत उद्यान' कर दिया गया है और वहां से 'मुग़ल गार्डन' का बोर्ड भी हटा लिया गया. राष्ट्रपति भवन की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि रविवार से 'अमृत उद्यान' में उद्यान उत्सव 2023 के मौके पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू मौजूद रहेंगी. जनता के लिए इसे 31 जनवरी से 26 मार्च तक के लिए खोल दिया जाएगा. राष्ट्रपति की डिप्टी प्रेस सचिव नविका गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रपति भवन के सभी बगीचों को अब 'अमृत उद्यान' कहा जाएगा.केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने 'मुग़ल गार्डन' की जगह 'अमृत उद्यान' का बोर्ड लगाने का एक वीडियो ट्वीट किया है. कुछ वीडियो में दिख रहा है कि पुराने बोर्ड को बुलडोज़र पर रख कर ले जाया गया. और इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई टिप्पणियां की गईं. शनिवार को जैसे ही ये ख़बर आई बीजेपी नेताओं की ओर से सोशल मीडिया पर इस कदम का स्वागत किया गया. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर इसे ग़ुलामी की मानसिकता से बाहर आने का मोदी सरकार का एक और ऐतिहासिक फ़ैसला बताया. वहीं, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, "गुलामी का एक और प्रतीक समाप्त. मुग़ल गार्डन अब नहीं रहा, अब है अमृत गार्डन."प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्र के साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से कई शहरों, सड़कों और स्टेशनों के नाम बदले गए हैं. इसे लेकर राजनीति भी होती रही है. अभी जिस राष्ट्रपति भवन के 'मुग़ल गार्डन' का नाम बदला गया, उसी से निकलने वाले 'राजपथ' का नाम पिछले साल बदल दिया गया. मोदी सरकार ने इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक जाने वाले 'राजपथ' का नाम 2022 में बदल कर 'कर्तव्य पथ' कर दिया था. पहले इसका नाम जार्ज पंचम के नाम पर 'किंग्स वे' था, आज़ादी के बाद इसका नामकरण 'राजपथ' कर दिया गया. इससे पहले अगस्त 2015 में दिल्ली नगर पालिका परिषद ने 'औरंगज़ेब रोड' का नाम बदलकर 'एपीजे अब्दुल कलाम रोड' कर दिया. हालाँकि अलग-अलग स्तरों पर इस सड़क का नाम सरदार पटेल के नाम पर करने की मांग होती रही थी. महाराष्ट्र के जिस औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग होती रही है वहां औरंगज़ेब की मृत्यु हुई थी और वहीं उनका मकबरा भी है. ये दावा किया जाता है कि औरंगाबाद का नाम भी औरंगज़ेब ने ही रखा था. अस्सी के दशक से ही औरंगाबाद का नाम 'संभाजीनगर' किए जाने की मांग शिवसेना करती रही है और पिछले साल ही अपनी सरकार बचाने की आखिरी कोशिश में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कैबिनेट ने जून 2022 में इसका नाम बदलने का आदेश जारी कर दिया. लेकिन जैसे ही बीजेपी के गठबंधन की सरकार सत्ता में आई उसने इसका नाम फिर से बदलने का फरमान दे दिया. इस बार उसने औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम 'छत्रपति संभाजीनगर' और 'धाराशिव' कर दिया. और पीछे जाएं तो मुंबई का नाम पहले बंबई या बॉम्बे हुआ करता था, जिसका नाम 1995 में तत्कालीन शिव सेना सरकार में बदला गया. इसी तरह 1996 में मद्रास को चेन्नई और 2001 में कलकत्ता का नाम कोलकाता कर दिया गया.उत्तर प्रदेश में मुगलसराय जंक्शन का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन और इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया जा चुका है. कुछ विश्लेषकों की राय है कि नाम बदलने के पीछे 'ध्रुवीकरण की मंशा' होने से इनकार नहीं किया जा सकता. अक्टूबर 2018 में बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मशहूर शहर 'इलाहाबाद' का नाम 'प्रयागराज' करने का आदेश दिया. इसके तुरंत बाद तब बीजेपी शासित हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य की राजधानी शिमला का नाम बदलकर 'श्यामला' करने की मांग कर दी जिस पर उस समय काफ़ी हंगामा मचा. वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने इसे 'ध्रुवीकरण को बढ़ावा' देने वाला बताया था. उन्होंने बीबीसी से कहा था, "लगता ये है कि चुनाव में जाने से पहले बीजेपी में कहीं ना कहीं आत्मविश्वास की कमी दिखती है और वो धार्मिक ध्रुवीकरण चाहती है." त्रिपाठी की राय में, "वो (बीजेपी) चाहती है कि ऐसे विवाद उठें जिससे बहस हिंदू-मुसलमान पर सिमट जाए और वर्तमान के ज्वलंत मुद्दे - जैसे बेरोज़गारी, महंगाई या कानून व्यवस्था इन सबसे लोगों का ध्यान हट जाए." साल 2018 में ही चार जून को उत्तर प्रदेश के 'मुग़लसराय' जंक्शन का नाम बदलकर 'पंडित दीन दयाल' उपाध्याय जंक्शन कर दिया गया. इसकी जानकारी देते हुए तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना की कॉपी ट्वीट करते हुए लिखा, "... मुझे खुशी है कि अंत्योदय जैसा महान विचार देने वाले पं. दीन दयाल जी के नाम से अब यह जंक्शन जाना जाएगा."दिल्ली के अकबर रोड का नाम भी बदलने की मांग लगातार होती रही है. इस सड़क का नाम बदलने की चाहत रखने वाले यहाँ पर लगे साइन बोर्ड पर काला रंग भी पोत चुके हैं. मांग क'नई दिल्ली में एक से बढ़कर एक ख़ूबसूरत इमारतों के डिज़ाइन बनाने वाले एडविन लुटियन के नाम पर यहाँ कोई सड़क नहीं है. वे 10 राजाजी मार्ग के बंगले में रहते थे.'रने वाले कह रहे हैं कि अकबर रोड का नाम कुछ साल पहले हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हुए भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के नाम पर रख दिया जाए.