जब तक यमुना नहीं होगी साफ, तब तक नहीं धुले सकेंगे विश्व धरोहर ताजमहल के दाग!
पर्यावरण कार्यकर्ता लिसीप्रिया के यमुना में गंदगी और प्लास्टिक कचरे के संदेश से एक बार फिर से सफाई का मुद्दा गरमा गया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद भी दशहरा घाट और ताज टैनरी केपास नाले से निकला कचरा जमा हुआ है। नदी में प्लास्टिक कचरे और गंदगी के कारण हर दो महीने के बाद ताजमहल की उत्तरी दीवार की धुलाई करनी पड़ रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वर्ष 2015 से ताजमहल का मडपैक ट्रीटमेंट शुरू किया है। वहीं उत्तरी दीवार पर कीड़ों के कारण पड़ रहे हरे दाग हर दो माह बाद धोने पड़ रहे हैं। यमुना नदी में प्रदूषण के कारण ताज पर गोल्डी काइरोनोमस कीड़ों का हमला हो रहा है। अप्रैल में पारा 40 डिग्री को पार करते ही इन कीड़ों के हमले में तेजी आई। कीट विशेषज्ञों के मुताबिक नदी में फास्फोरस बढ़ने पर गोल्डी काइरोनोमस कीड़े बढ़ते हैं। एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के मुताबिक यमुना में प्रदूषण के कारण कीड़ों से जो दाग पड़ते हैं, उन्हें समय-समय पर हटाते रहते हैं। बार-बार मडपैक नहीं किया जा सकता। ताजमहल पर कीड़ों के हमले में एनजीटी ने संज्ञान लेकर सफाई के निर्देश दिए, जिसके बाद तत्कालीन डीएम ने एडीएम सिटी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई थी, जिसमें एएसआई पुरातत्व रसायनविद, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता, अपर नगर आयुक्त, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी शामिल थे। उनके सुझाव भी दरकिनार कर दिए गए। कीड़ों के हमले की वजह १ यमुना नदी में पानी प्रदूषित होना और पानी में प्रवाह न होना २ प्रदूषण के कारण मछलियों की मौत, जो लार्वा खाती हैं ३ जल प्रवाह रुकने से नदी में दलदल बना, जिसमें कीड़े पनपे ४ रुके पानी में काई जमने से कीड़े उसी को ताज तक पहुंचाते हैं ५ सीवर जाने, कचरा पहुंचने से कीड़ों के लिए मुफीद बनी कीड़े रोकने के सुझाव १ नदी की नियमित सफाई की जाए, कूड़ा-कचरा न डाला जाए २ यमुना में जलस्तर बढ़ाया जाए, पानी का प्रवाह तेज किया जाए ३ रात में कृत्रिम प्रकाश में आने वाले कीड़े के लिए लाइट न जले ४ दलदल न बने, इसलिए यमुना की नियमित डी-सिल्टिंग की जाए ५ वैज्ञानिकों की मदद से ईको-फ्रेंडली तरीके से कीड़े पकड़ने के प्रयास हों