कानून की शिक्षा का उपयोग समाज के हित में करने का आह्वान किया न्यायमूर्ति जितेन्द्र चौहान ने।
Girish Saini Reports

रोहतक। कानून की शिक्षा का उपयोग समाज के हित में, जन मानस के कल्याण के लिए करने का आह्वान वीरवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायमूर्ति जितेन्द्र चौहान ने एमडीयू के विधि विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में किया। चेंजिंग डाइमेंशन्स ऑफ लॉ एंड सोसायटी इन अमृत काल विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपने विद्वतापूर्ण भाषण में न्यायमूर्ति जितेन्द्र चौहान ने कहा कि कानून तथा न्याय व्यवस्था को मूक की आवाज बनना होगा, अन्याय पीड़ितों के लिए न्याय बनना होगा तथा गरीब और सताए गए लोगों का सहारा बनना होगा। न्यायमूर्ति चौहान ने कहा कि समाज में अमीर-गरीब की खाई को पाटने की जरूरत है। गरीबी रेखा से नीचे वाले समाज को समृद्ध करने की जरूरत है। इस संबंध में गुणवत्तापरक शिक्षा के जरिए आमजन के सशक्तिकरण की बात उन्होंने कही। उन्होंने अमृत काल में आर्थिक तथा सामाजिक रूप से समाज के हाशिए पर रह रहे लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास करने पर जोर दिया। एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभानी होगी। शिक्षण संस्थान कानूनी साक्षरता का संदेश जन-जन तक ले जाए, ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए। कुलपति ने कहा कि कानून-न्याय की सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस संबंध में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शिक्षा का अधिकार (अनिवार्य शिक्षा) संबंधित निर्णय का विशेष उल्लेख कुलपति ने किया। उन्होंने कहा कि भविष्य में विधि विभाग के विद्यार्थियों को विधि के व्यावहारिक पहलुओं का शिक्षण-प्रशिक्षण दिया जाएगा। विधि विभाग के अध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र सिंह ढुल ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने विधि क्षेत्र के नवीनतम रुझानों की भी चर्चा की। संगोष्ठी संयोजक डॉ. अनुसूया यादव ने संगोष्ठी की पृष्ठभूमि तथा उप-विषयों बारे बताया। आयोजन सचिव डॉ. प्रदीप लाकड़ा ने मंच संचालन किया। प्राध्यापक डॉ. सत्यपाल सिंह ने उद्घाटन सत्र में आभार प्रदर्शन किया। इस एक दिवसीय संगोष्ठी में 11 तकनीकी सत्रों (6 ऑनलाइन तथा 5 ऑफलाइन) का आयोजन किया गया। लगभग 200 प्रतिभागियों ने शोध प्रस्तुति दी। आंबेडकर हॉल में आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में विधि संकाय की डीन प्रो. कविता ढुल, सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. केपीएस महलवार, डॉ. अमर सिंह वर्मा, विधि विभाग के सभी प्राध्यापक, एमडीयू के अन्य विभागों के प्राध्यापक, सेमिनार डेलीगेट्स, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।