प्रिंट मीडिया का मजबूत पक्ष आम लोगों में इसकी विश्वसनीयता हैः परवीन के मोदी
Girish Saini Reports

रोहतक। प्रिंट मीडिया में नवोदित पत्रकार खुद को इस तरह से प्रशिक्षित करें कि वे डिजिटल मीडिया की गति से मेल खा सकें। रिपोर्टरों को समाचार से परे जाने की जरूरत है और पाठक को समझदार बनाने के लिए किसी मुद्दे पर पृष्ठभूमि की जानकारी और तथ्य भी देने की जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार व इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व रेजिडेंट एडिटर परवीन के मोदी ने उक्त उद्गार व्यक्त किए। वरिष्ठ पत्रकार मोदी एमडीयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा- प्रिंट मीडिया: चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अखबारों का सर्कुलेशन और रेवेन्यू निश्चित रूप से कम हुआ है। डिजिटल मीडिया अधिक सुलभ, तात्कालिक है और प्रिंट मीडिया की तुलना में अधिक लोगों तक पहुंचता है। लेकिन प्रिंट मीडिया का मजबूत पक्ष आम लोगों में इसकी विश्वसनीयता है। आज इसकी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए इसे और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। वरिष्ठ पत्रकार मोदी ने संपादकीय स्वायत्तता के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने भारतीय समाचार पत्रों के बदल रहे परिदृश्य की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए और पत्रकारिता के विद्यार्थियों से भाषा के प्रति सचेत रहने का आग्रह किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जेएमसी के विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार ने की। उन्होंने पीके मोदी का स्वागत करते हुए उन्हें पत्रकारिता की जीती जागती संस्थान बताया। उन्होंने बताया कि मोदी का मीडिया में पांच दशकों से अधिक का करियर है और वे देश के प्रतिष्ठित पत्रों के साथ जुड़े रहे हैं। प्रो. हरीश ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान प्रिंट मीडिया के महत्व पर भी प्रकाश डाला। सहायक प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए अतिथि वक्ता का परिचय दिया और उनके द्वारा किए गए बहुमुखी कार्यों पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी प्रिया कुसुम ने किया। इस मौके पर दृश्य कला विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. अंजलि दूहन, शोधार्थी कंवलजीत, संदीप, जगरूप, रविकांत, अजय, विनोद, महिमा सहित पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग एवं दृश्य कला विभाग के विद्यार्थी मौजूद रहे।