विश्व कविता दिवस पर हिंदी विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित।
Girish Saini Reports

हिसार। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के हिंदी विभाग में विश्व कविता दिवस पर मंगलवार को एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. एन.के. बिश्नोई ने की। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार कमलेश भारतीय मुख्य अतिथि रहे। हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. किशनाराम बिश्नोई विशिष्ट अतिथि रहे। विभाग की प्रभारी डॉ. गीतू की देखरेख में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में शहर से कई कवि, गजलकारों ने शिरकत की और उन्होंने अपनी कविताओं से काव्य का समां बांध दिया। प्रो तिलक सेठी ने अपनी गजल की पंक्तियां भाव, अक्षर, साथ ले ब्रह्मांड में बस छा गयी, नाद औ संगीत में ढलकर कविता आ गयी सुनाकर वाहवाही लूटी। नीरज कुमार मनचंदा ने कहा बेतहाशा भागती ओ हाँफती अब रोज ही, हाशिए पर जा रही है जिंदगी। डॉ गीतू ने अपनी मुक्त छंद की कविता में कुछ इस अंदाज से उदगारों को व्यक्त किया, कविता है तो उदास दरिया में लहरों की बज उठती है जलतरंग, कविता है तो बौखलाई नींद में भी जलती है सपनों की उमंग। मुख्य अतिथि कमलेश भारतीय ने अपनी कविता को यूं भाव दिए कि इतना खाली भी नहीं हूं दोस्तों की जब पुकारा चला आया, इतना व्यस्त भी नहीं कि आपकी आवाज को अनसुनी कर दूं। बस! आप बुलाओ तो सही दिल से। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए पूनम मनचंदा ने अपनी कल्पना की उड़ान को शब्द देते हुए कहा, कविता कवि की कल्पना लेती नित्य उड़ान, सबके दिल पर यह सदा अंकित करें निशान। इस तरह के दोहे रख अपनी मधुर वाणी से आज की शाम को झंकृत किया। गजलकार अनीता जैन ने अपनी गजल में ‘जख्म जब तक मिला नहीं होता, दर्द क्या है पता नहीं होता, ये कह कर जिंदगी की सच्चाई से रूबरू करवाया’। इस अवसर पर प्रो एनके बिश्नोई ने हिंदी विभाग के विद्यार्थियों की सृजनात्मक प्रतिभा से अत्यंत प्रभावित होते हुए उन्हें काव्य सृजन के लिए प्रेरित भी किया। हिंदी विभाग के विद्यार्थियों में अनु, सचिन, मोहित, रितुल, शिवा, उषा, मनीषा, मोनिका, राहुल, आकाश ने कविताएं प्रस्तुत कर माहौल को काफी रूमानी बना दिया। कार्यक्रम में हिंदी विभाग की फैकल्टी डॉ गीतू, कल्पना, अनीता, कोमल सहित शोधार्थी सौरभ, रीना, सचिन, नविता का योगदान सराहनीय रहा। मंच संचालन शिवा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्रो. कल्पना ने किया।