सामूहिकता की सोच से समाज-राष्ट्र की समस्याओं का समाधान खोजा जा सकता: प्रो. नवरतन शर्मा
Girish Saini Reports

रोहतक। आत्म निर्भर भारत बनाने के मिशन में मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, आध्यात्मिक पहल के लिए समग्र प्रयास की संकल्पबद्धता के साथ बुधवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनोमिक चेंज के तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हो गई। साइको-सोशल-इकोनोमिक चेंज: एजेंसिज एण्ड पॉथवेज टू आत्मनिर्भर भारत विषयक इस तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में एमडीयू के डीन, एकेडमिक एफेयर्स प्रो. नवरतन शर्मा ने कहा कि सामूहिकता की सोच तथा इंटरडिसीप्लीनरी एप्रोच से समाज-राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान खोजा जा सकता है। इसके लिए समाज विज्ञानियों, मनोवैज्ञानिकों, उद्यमियों को, स्वयंसेवी संगठनों तथा शिक्षण संस्थानों को मिलकर कार्य करना होगा। पॉजीटिविटी का मंत्र प्रो. नवरतन शर्मा ने दिया। संगोष्ठी के समापन समारोह में आस्ट्रेलिया से ऑनलाइन जुड़े एमडीयू एलुमनस, बिहेवियर कोच, लेखक हमेश यादव ने कहा कि आर्थिक स्वावलंबता आत्मनिर्भरता का आधार है। उन्होंने विद्यार्थियों को वित्तीय शिक्षा देने पर विशेष जोर दिया। हमेश यादव ने कहा कि विकास की मनोवृति विकसित करने की जरूरत है। यूएसए से प्रतिष्ठित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. थॉमस इडीकुला ने अपने ऑनलाइन संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत में नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। इस संबंध में नागरिकों में सकारात्मक मनोवृति विकिसित करने के लिए विशेष पहल तथा फोकस्ड प्रयासों को डा. थॉमस ने रेखांकित किया। सीआरएसआई के पूर्व निेदेशक तथा प्रतिष्ठित समाज विज्ञानी प्रो. पीके भार्गव ने कहा कि पोस्ट पैंडेमिक विश्व में सामाजिक-आर्थिक परिमाण बदल गए हैं। ऐसे में समाज विज्ञानियों को सामाजिक-आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए नूतन पहल करने होगी। उन्होंने सीआरएसई को इस महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी आयोजन के लिए बधाई दी। प्रतिष्ठित वैदिक विद्वान महर्षि, महर्षि दयानंद सरस्वती शोध पीठ के चेयर-प्रोफेसर डा. रवि प्रकाश आर्य ने कहा कि राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का रास्ता वैदिक दर्शन तथा वैदिक जीवनशैली के तहत सुनिश्चित होगा। उन्होंने स्वामी दयानंद के विचार व दर्शन को सांझा करते हुए कहा कि संपोषणीय, समावेशी सामाजिक-आर्थिक विकास वैदिक दर्शन तथा आध्यात्मिक सोच के जरिए संभव है। समापन सत्र का संचालन संगोष्ठी संयोजिका प्रो. दीप्ति हुड्डा तथा आयोजन सचिव डा. राजेश कुमार ने किया। संगोष्ठी संयोजिका प्रो. अंजलि मलिक ने संगोष्ठी संबंधित विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस संगोष्ठी के निदेशक, सीआरएसआई निदेशक प्रो. इंद्रजीत ने स्वागत भाषण दिया। आभार प्रदर्शन आयोजन सचिव डा. शशि रश्मि ने किया। इस संगोष्ठी में 19 तकनीकी सत्र तथा एक परिसंवाद सत्र आयोजित किया गया। 108 शोध पत्र ऑफ लाइन तथा 78 शोध ऑनलाइन प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी में 15 विशेष व्याख्यान भी आयोजित किए गए। प्रत्येक तकनीकी सत्र में अलग-अलग बेस्ट रिसर्च पेपर भी चुने गए। समापन सत्र में विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, डेलीगेट्स, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।