गंगा विलास क्रूज़: जानिए क्या है ख़ास और बिहार में क्यों हो रहा है विरोध
anant tripathi report

13 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल माध्यम से दुनिया के सबसे लंबे क्रूज़ 'गंगा विलास' को हरी झंडी दिखाएंगे. गंगा विलास क्रूज़ वाराणसी के रविदास घाट से रवाना होगी और बिहार बंगाल के रास्ते बांग्लादेश के रास्ते होते हुए असम के डिब्रूगढ़ पहुंचेगी. पूरी यात्रा कुल 51 दिनों की होगी. लेकिन क्रूज़ की यात्रा के शुरू होने से पहले ही बिहार में इसका विरोध होने लगा है. बिहार में सत्ताधारी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने आरोप लगाया है कि 'गंगा विलास क्रूज़ चलाना जनता के पैसे की लूट है.' ललन सिंह ने कहा है कि 'हर साल क्रूज़ चलाने के लिए गंगा नदी में जमा गाद को साफ़ किया जाएगा और फिर बाढ़ में इसमें गाद भरेगा.'लेकिन केंद्र सरकार गंगा विलास क्रूज़ का प्रचार ज़ोर शोर से कर रही है और विश्वस्तरीय सुविधाओं का दावा कर रही है.यह यात्री जहाज़ भारत और बांग्लादेश के 27 रिवर सिस्टम और सात नदियों- गंगा, भागीरथी, मेघना, हुगली, जमुना, पदमा और ब्रह्मपुत्र से होकर गुज़रेगा. इस यात्रा से 50 पर्यटन स्थल आपस में जुड़ेंगे. इससे पहले 11 जनवरी को 56 घंटे की यात्रा के बाद उत्तर प्रदेश के बलिया से ये जहाज़ वाराणसी पहुंच गया था. क्रूज़ के निदेशक राज सिंह का कहना है कि ये अकेला ऐसा जहाज़ है जो स्वदेशी तकनीक और फ़र्नीचर से लैस है. क्रूज़ को भारत की ही आर्ट हिस्टोरियन डॉ अन्नपूर्णा गर्रीमाला ने डिज़ाइन किया है. क्रूज़- चीनी अमीरों का नया 'स्टेटस सिंबल' टाइटैनिक पर हिटलर की वो फ़िल्म, जो बन गई दुष्प्रचार और दुर्घटनाओं की कहानी ये विशेष जहाज़ कोलकाता के पास एक शिपयार्ड में तैयार किया गया है. जहाज़ तो 2020 में ही तैयार हो गया था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसका उद्घाटन नहीं हो पाया था. लग्ज़री सुख-सुविधाओं से लैस इस क्रूज़ में हर वो आधुनिक सुख सुविधा मौजूद है, जिसकी दरकार किसी सफ़र में हो सकती है. 62.5 मीटर लंबे, 12.8 मीटर चौड़े और 1.35 मीटर गहरे इस तीन मंज़िला जहाज़ में कुल 18 सूट यानी लग्ज़री कमरे हैं. कमरे में कनवर्टिबल बेड, फ्रेंच बालकनी, एयर कंडिशनर, सोफा, एलइडी टीवी, स्मोक अलार्म, अटैच बाथरूम जैसी तमाम सुविधाएं हैं. जहाज़ पर जिम, स्पा, आउटडोर ऑब्जर्वेशन डेक, निजी बटलर सेवा और यात्रियों के लिए विशेष संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी इंतज़ाम है. क्रूज़ के इंटीरियर को देश की संस्कृति और हेरिटेज को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है. केंद्र सरकार ने संसद में कहा रामसेतु होने के अब तक पुख़्ता प्रमाण नहीं कश्मीर केसर को जीआई टैगिंग से कितना फायदा होगा गंगा विलास इमेज स्रोत,PIB क्रूज़ का रूट 13 जनवरी को वाराणसी से रवाना होने के 51 दिनों बाद ये जहाज़ एक मार्च को असम के डिब्रूगढ़ पहुंचेगा. इस दौरान यह भारत के 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और साथ ही बांग्लादेश से होकर गुज़रेगा. जहाज़ बांग्लादेश में 15 दिनों तक रुकेगा. इसके अलावा इस पूरी यात्रा में अलग-अलग राज्यों के कुल 50 टूरिस्ट स्पॉट्स का भी लुत्फ़ पर्यटक उठा सकेंगे. इनमें विश्व धरोहर स्थल, नेशनल पार्क, नदियों के घाट और अन्य जगहें शामिल होंगी. "जो यहां जाता है ज़िंदा नहीं लौटता", क्या है इस दावे की सच्चाई? जोशीमठ के चमकने से दरकने तक की पूरी कहानी पचास हज़ार रुपये का टिकट दुनिया के सबसे लंबी रिवर क्रूज़ की पहली सबसे लंबी यात्रा के गवाह स्विट्जरलैंड के 32 पर्यटक बनेंगे. जहाज़ में कुल 36 यात्रियों के रहने की सुविधा है. माना जा रहा है कि गंगा विलास क्रूज़ की शुरुआत के बाद देश के रिवर क्रूज़ पर्यटन को काफ़ी बढ़ावा मिलेगा. टिकट की कीमत की बात करें तो प्रति दिन प्रति व्यक्ति क़रीब 50 हज़ार रुपये का ख़र्च आएगा. लेकिन सभी को 51 दिनों के लिए बुक करना अनिवार्य नहीं होगा. यात्री चाहें तो बीच में कहीं भी इस सफ़र को छोड़ सकते हैं. क्रूज़ के निदेशक राज सिंह ने बीबीसी को बताया कि अगले दो साल के लिए लगभग सभी टिकटें पहले ही बुक हो चुकी हैं.