हिंदू कॉलेज में बहु विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित।

Girish Saini Reports

हिंदू कॉलेज में बहु विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित।

रोहतक। लाल नाथ हिंदू महाविद्यालय के हिंदी विभाग एवं उच्चतर शिक्षा विभाग, पंचकूला के संयुक्त तत्वावधान में प्राचार्य डॉ. रश्मि छाबड़ा की अध्यक्षता में एक दिवसीय बहु विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय वैश्वीकरण के दौर में साहित्य, राजनीति, मीडिया और बाजार रहा। संगोष्ठी के मुख्यातिथि प्रो. सुरेन्द्र कुमार (डीन अकेडमिक अफेयर्स, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी) एवं प्रबंध समिति के पूर्व प्रधान राजेश कुमार सहगल, महासचिव जितेन्द्र मेहता, प्रबंधक श्याम कपूर ने मां सरस्वती के सामने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्राचार्य डॉ. रश्मि छाबड़ा ने मुख्य अतिथि प्रो. सुरेंद्र कुमार का स्वागत किया। हिंदी विभागाध्यक्ष व इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की संचालक डॉ. अंजू देशवाल ने सेमिनार के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैश्वीकरण, भूमंडलीकरण, उदारीकरण व बाजारवाद आदि एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। प्रो.सुरेन्द्र कुमार ने उद्घाटन सत्र में बताया कि किस तरह बाजारवाद साहित्य को प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि साहित्य हमारी उन प्रवृतियों को अनुशासित करता है, जो प्रवृतियां हमें बाजारवाद की तरफ ले जाती हैं। बाजारवाद ने साहित्य को क्षीण करके उसकी मौलिकता को ही परिवर्तित कर दिया है। पूर्व प्रधान राजेश सहगल ने कहा कि आज की नारी चूल्हे-चौके के संकुचित घेरे से निकालकर जिन ऊंचाइयों तक पहुंच पाई है वह बाजारवाद के कारण ही संभव हो पाया है। मुख्य अतिथि प्रो. सुरेन्द्र कुमार को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी के दूसरे सत्र में बीज वक्ता डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय (एसोसिएट प्रोफेसर, रामानुज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) एवं समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो.संजीव वर्मा (सेवानिवृत्त,प्रो. हिंदी विभाग,म.द.वि.) का संक्षिप्त परिचय दिया गया। प्राचार्य डॉ. रश्मि छाबड़ा, डॉ. नीलम मग्गू एवं डॉ. अंजू देशवाल ने बीज वक्ता एवं मुख्य अतिथि को पौधे भेंट कर उनका स्वागत किया। डॉ. रश्मि छाबड़ा ने वास्कोडिगामा से शुरुआत करते हुए एतिहासिक तथ्यों पर प्रकाश डाला व वर्तमान वैश्वीकरण को साहित्य, राजनीति से जोड़ कर उसके प्रभावों को प्रकट किया। डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय ने दुर्योधन एवं युधिष्ठिर को राजा तथा द्रौपदी को जनता का प्रतीक मानकर बाजारवाद को परिभाषित किया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में हरियाणा भर से विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के लगभग 224 विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं प्राध्यापकों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। चार तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिनका संचालन डॉ. प्रोमिला यादव, चंदना जैन व डॉ. रीना कत्याल ने किया। डॉ अंजू देशवाल ने समापन सत्र के मुख्य वक्ता एवं बीज वक्ता को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा उनको स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। डॉ विपिन गुप्ता (प्रो.वैश्य कालेज,भिवानी) एवं डॉ रविंद्र सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर, पंडित नेकी राम शर्मा राजकीय महाविद्यालय, रोहतक) की अध्यक्षता में तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में वंदना रंगा ने कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत की। मंच संचालन वंदना रंगा एवं डॉ सुमन रानी ने किया। इस मौके पर एचआईएमटी निदेशक डॉ हितेश ढ़ल, अनिला बठला, डॉ शिखा फौगाट, डॉ पूजा चावला, डॉ चित्रा शर्मा, डॉ सन्नी कपूर, डॉ नीलम राठी, डॉ दीप्ति शर्मा, डॉ रजनी कुमारी, डॉ सुमित कुमारी दहिया, डॉ रौनक, डॉ हरदीप, डॉ राजेश गहलावत, डॉ शालू जुनेजा, डॉ चित्रा शर्मा, चंदना जैन, डॉ रीना कत्याल, डॉ प्रदीप कुमार, हर्षिता, नूपुर, सोनम, डॉ गीता, डॉ संदीप, ममता सहगल, डॉ रिचा, चंद्रिका, किरण देवी, अमित, रितू लोहान, सोनिया, कंचन, पवन धींगड़ा, श्रीमती श्वेता, नवीन नागपाल सहित प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।