बीमारों की परेशानी देखते हुए सरकार हठधर्मिता छोड़कर मेडिकल छात्रों की मांगे तुरंत स्वीकार करेः दीपेंद्र हुड्डा
Girish Saini Reports

रोहतक। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में आंदोलनरत मेडिकल विद्यार्थियों की मांगें जायज हैं। बीमारों की परेशानी देखते हुए सरकार हठधर्मिता छोड़कर मेडिकल छात्रों की मांगे तुरंत स्वीकार करे। इससे न केवल मरीजों की परेशानी दूर होगी बल्कि गरीबों के काबिल बच्चे भी डॉक्टर बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि जिद पर सरकार अड़ी हुई है और खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। 40 लाख रुपयों का भारी बोझ डालने वाली बॉन्ड पालिसी से आम गरीबों के काबिल बच्चे मेडिकल शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ मेडिकल छात्रों और उनके परिवारों में जबरदस्त रोष है। उन्होंने सवाल किया कि मुख्यमंत्री बताएं कि आम गरीब, मध्यम वर्ग, किसान के काबिल बच्चों से डॉक्टर बनने का अधिकार क्यों छीन रही है उनकी सरकार? मेडिकल छात्रों के समर्थन में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के हड़ताल पर जाने से आम गरीबों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनने पर इस बॉन्ड पॉलिसी को रद्द किया जाएगा। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि मेडिकल छात्रों से हर साल बॉन्ड के साथ 10 लाख रुपये फीस नहीं, सरकारी लूट की जा रही है। हुड्डा सरकार के समय की एमबीबीएस की फीस को बॉन्ड के साथ एक ही झटके में 20 गुना बढ़ाकर भाजपा सरकार ने सालाना 10 लाख रुपये कर दिया। अब एमबीबीएस विद्यार्थियों को कॉलेज और संबंधित बैंक के साथ साढ़े 4 साल के कोर्स के लिए कुल 40 लाख रुपये का बॉन्ड-कम-ऋण एग्रीमेंट करना होगा। जबकि, सरकार की तरफ से नौकरी मिलने की कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में वो इस कर्ज को कैसे चुकाएंगे। सांसद ने कहा कि युवाओं को रोजगार की बजाय रिकार्ड बेरोजगारी के गर्त में पहुंचाने वाली हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार अब अपनी मेहनत से डॉक्टर बनने के उनके सपने पर ही प्रहार कर रही है। किसान हो या छात्र, कर्मचारी हों या व्यापारी हर वर्ग पर इस सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने को मजबूर हो रहा है। भाजपा सरकार की युवा विरोधी मानसिकता के चलते ही प्रदेश के युवा आज सबसे ज्यादा बेरोजगारी की मार झेलने और सस्ती शिक्षा के लिए अपने घर से दूर दूसरे प्रदेशों में जाने को मजबूर हैं।