Lok Sabha By Election: आजमगढ़ में कौन होगा भाजपा का उम्मीदवार, निरहुआ बोले- अखिलेश ने छोड़ दिया जिले की जनता का साथआजमगढ़ में कौन होगा भाजपा का उम्मीदवार, निरहुआ बोले- अखिलेश ने छोड़ दिया जिले की जनता का साथ
आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा, इसे लेकर लोगों में चर्चा है।

भाजपा के टिकट पर एक बार फिर दिनेश लाल यादव निरहुआ के मैदान में उतरने की संभावना जताई जा रही है। बीते दो दिन से जिले में रहकर दिनेश लाल यादव निरहुआ लोगों से जनसंपर्क में जुटे हुए हैं।बुधवार को मीडिया से वार्ता के दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि आजमगढ़ की जनता ने बड़ी उम्मीद के साथ अखिलेश यादव को अपना सांसद चुना था लेकिन उन्होंने तीन वर्षों में ही यहां की जनता का साथ छोड़ दिया। आने वाले 50 वर्षों में भी सपा की सरकार नहीं आने वाली है। दिनेश लाल यादव निरहुआ ने कहा कि चुनाव प्रचार के लिए अनेक राज्यों में जाना होता है। हर राज्य को सीएम योगी आदित्यनाथ जैसा मुख्यमंत्री और हर देश को नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री चाहिए। उत्तर प्रदेश की जनता और देश की जनता ने जिसे चुना है वो देश के सबसे अच्छे नेता हैं। ऐसे में हम सभी लोगों को भाजपा के साथ जुड़कर विकास में योगदान करना चाहिए। उपचुनाव सही मौका है, जब हम सभी लोगों को भाजपा के साथ जुड़ना चाहिए।कहा कि आपने जाति, धर्म और क्षेत्रवाद के बारे में सोचा लेकिन इस बार आजमगढ़ के भले के लिए सोचना है और यह सबकी जिम्मेदारी है। क्योंकि आजमगढ़ का प्रतिनिधि जब सरकार में होगा तो जिले का विकास और अधिक मजबूती के साथ होगा। ऐसा प्रतिनिधि चाहिए जो यहां की जनता के लिए काम कर पाए। आज गोरखपुर और वाराणसी पूरी तरह से सज गया पर आजमगढ़ पिछड़ गया। बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा खाली की गई आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 23 जून को उपचुनाव है। इस सीट पर समाजवादीपार्टी ने अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को टिकट दिया है। वर्ष 1996 से आजमगढ़ में सिर्फ मुस्लिम और यादव उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं। रमाकांत यादव ने यहां साल 1996 और 1999 में एसपी प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी। वह साल 2004 में बीएसपी और 2009 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे। साल 1998 और 2008 में इस सीट पर हुए उपचुनावों में बीएसपी के अकबर अहमद डंपी ने फतह हासिल की थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी उम्मीदवार रमाकांत यादव को करीब 63 हजार मतों से हराया था। इसके बाद जब 2019 के लोकसभा चुनाव हुए तो मुलायम सिंह यादव के उत्तराधिकारी और सपा मुखिया अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे। जनपद की जनता ने एक बार फिर मोदी लहर के विपरीत सपा का साथ दिया और अखिलेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को पराजित करते हुए जीत हासिल करने में कामयाबी हासिल की। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 19 लाख मतदाताओं में से साढ़े तीन लाख से अधिक यादव, तीन लाख से ज्यादा मुसलमान और करीब तीन लाख दलित हैं।